Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( २८७ )
खोजावणी
खींचाताण खीजावणो-दे० खीजाणो।।
लकड़ी में बनाये हुये खई में इस प्रकार खीजियोड़ो-(वि०) १. क्रोधित । २. चिढ़ा अटकी रहती है कि जिससे ऊपर वाला हुआ। ३. शीतकाल में मस्ती में पाया पाट आसानी से घुमाया जा सके। खील हुआ (ऊंट)।
और मांकड़ी। खीटरपो-दे० खींटणो।
खीली-(ना०) १. कील । मेख । चूंक । खीण-(वि०) १. क्षीण । दुबंल । २. सूक्ष्म। २. खूटी। मंद । ३. कृश । पतला। ४. जो क्षीण खीली करणो-(मुहा०) १. दुख देना। हो गया हो । जो घट गया हो।
२. चिढ़ाना । खीणता-(ना०) क्षीणता । दुर्बलता । खोली खटको-(न०) भय । डर । दुबळाई।
खीलो-(न०) १. बड़ी कील । मेख । २. खीनखाप-(न०) एक प्रकार का बढ़िया लंबा और पतला आदमी। __ कपड़ा।
खीलो-खाँपो-दे० खाँपो-खीलो। खीप-दे० खींप।
खीलोरी-(वि०) १. जंगली । २. उजड्ड । खीमर-दे० खींवर ।
(न०) गड़रिया । खीर-(ना०) १. दूध । क्षीर । २. दूध में खीवर-(न०) सुभट । वीर ।
चावल डालकर बनाया जाने वाला एक खीस-दे० खीसी । भोज्य पदार्थ । क्षीर । तस्मई । हविष्य । खीसी-(ना०) शमीवृक्ष की मंजरी । खेजड़ी खीरकंठ-(न०) बालक । क्षीरकंठ । बोबो- की मंजरी। मींजर। धावरिणयो । थण-चूघरिणयो।
खीसो-(न०) जेब । खूजियो । गूजियो । खीरज-(न०) दही।
खींखरो-(वि०) १. अति वृद्ध । डण । खीर सागर-(न०)१. क्षीर सागर । २.खीर डोकरड़ो। १. जीर्ण । बोदो । (न०)
आदि द्रव पदार्थ परोसने का एक पात्र । १. जंगल । वन । २. घास । चारो। खीरो-(न०) जलता हुआ कोयला । अंगारा। खींच-(ना०) १. खिंचाव । तनाव । २. खील-(न०) २. मुहासा। २. चक्की के प्राकर्षण । ३. अाग्रह । ४. कमी। तंगी। नीचे के पाट में बीच में लगी कील । खींचरणो-(क्रि०) १. खींचना । घसीटना । ३. मेख । कील । ४. एक प्रकार का व्रण २. म्यान से तलवार को बाहर निकालना। जिसमें से चावल जैसी कील निकलती ३. भभके से शराब आदि बनाना । ४. है। ५. व्रण की कील । ६. भुना हुआ लकीर काढ़ना। रेखा बनाना। प्रोळीअन्न।
काढरपो। खीलणो-(क्रि०) १. खिलना। फूलना। खींचा-खींच-(ना०) १. खींचातानी। २. २. मंत्र के प्रभाव से प्रेतादि के आवेश को आग्रह । ३. तंगी । कमी। रोकना । कीलना। ३. किसी वस्त्र के दो खींचा-खींची-दे० खींचा-खींच । लम्बे टुकड़ों को इस प्रकार सीना कि खींचाताण-ना०) १. किसी वस्तु को
दोनों के किनारे मुड़े नहीं । डॅडियाना। प्राप्त करने के लिये दो में से एक दूसरे खील-माँकड़ी-(ना०) चक्की के ऊपर वाले के विरुद्ध किया जाने वाला उद्योग ।
पाटे के बीच की लकड़ी और नीचे वाले खींचा-खींची। २. शब्द तथा वाक्य का पाट की खूटी जो ऊपर वाले पाट की क्लिष्ट कल्पना के सहारे या जबरदस्ती
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