Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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किस्सो ( २१)
कीन ३. हानि । ४. शह (शतरंज में)। किस्त लगाने के पूर्व प्राभूषण के छोटे छोटे में दिया जाने वाला रुपया।
विविध भागों को चिपकाने का एक किस्सो-(न०) १. किस्सा। कहानी । चेप । चीक । २. झगड़ा। ३. विवाद ।
कीचक मारण-(न०) भीमसेन । किहड़ो-(वि०) १. कौनसा । २. कैसा। कीचकरिप-(न०) भीम । कीचक-रिपु । किहड़ी-(वि०) कैसी।
कीचड़-(न०) कर्दम । पंक । गारो । कारो। किहकि-(वि०) कुछ। थोड़ा । (सर्व०) कीचरड़ो-(न0) कीच । कोई।
कीट-(न०) १. मैल । २. किट्ट । करो। किहि-(सर्व०) १. किसी के । २. किस । ३. तपाये हुये घी की तलछट । ४. कीड़ाकि-(सर्व०) क्या।
__ मकोड़ा। कीड़ा। (वि०) महाकंजूस । किंगरी-सारंगी के समान एक तंतुवाद्य । अत्यन्त लोभी। किंजळक-(ना०) १. पराग । पुष्परज। कीटी-(ना०) मावा । खोया । २. केशर । केसर ।
कीटो-(न०) घी, तेल आदि में नीचे जमकियाँ-(क्रि०वि०) कैसे । किस प्रकार । जाने वाला मैल । किट्ट । तलछट । करदो। किंवाड़-(न०) १. दरवाजा। २. कपाट। कीड़ी-(ना०) चींटी। चींउंटी। किंवाड़ । कमाड़।
कीडी नगरो-(न०) १. चींटियों का बिल । किंवाड़ियो-(न०) १. छोटा किंवाड़ । २. हथेली और पगथली में होने वाला
कमाड़ियो। २. रसोईघर में भोजनादि एक फोड़ा। रखने का छोटा कोठा।
कीड़ी-वेग-(क्रि०वि०) १. मंदगति । २. धीरेकिंवाड़ी-(ना०) छोटा किंवाड़।
धीरे। (वि०) धीरे धीरे चलने वाला। की-(क्रि०वि०) १. क्या। (सर्व०) कौनसा। मंदगति । (अव्य०) 'का' विभक्ति का नारीजाति रूप। कीड़ो-(न०) कीड़ा । (क्रि०५०) 'करणो' क्रिया का भूतकालिक कीणो-(न०) १. साग सब्जी खरीदने के नारी जाति रूप ।
लिये पैसों के अवज में दिया जाने वाला कीकरण-दे० कोकर।
अनाज । २. अनाज । कीकर-(क्रि०वि०) १. किस प्रकार । कैसे। कीत-(ना०) कीर्ति । २. किसलिये।
कीध-दे० कीघो। कीकली-(ना०)छोटी बच्ची। कीकी । गीगी। कीधी-(भू०क्रि०) १. 'की' 'करणो' वर्तमान कीकलो-दे० कीको।
क्रिया का नारीजाति भूतकाल रूप । करदी। कीकी-(ना०) १. छोटी बच्ची। २. प्रांख बनादी । २. समाप्त कर दी। ३. वर्णन __की पुतली । अाँख का तारा।
की। कीको-(न०) बालक । छोटा बच्चा । गीगो। कीधो-(भू०क्रि०) 'करणों' वर्तमान क्रिया कीच-(न०) १. कीचड़ । काबो । २. सुहागा का भूतकाल रूप । १. कर दिया। बनाया।
और दानामेथी को उबाल कर बनाया निर्माण किया । २. वर्णन किया । हुमा एक लसदार चेप जिसमें आभूषण ३. समाप्त किया। तैयार करते समय उसके खंडो को चिपका कीघोड़ो-(भू००) (वि०) किया हुआ । कर उनमें झालन लगाई जाती है। झालन कीन-दे० कीघो।
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