Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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कीनरो ( २४२ )
कीदरी कीनरो-(न०) किसी के संबंध में निंदायुक्त कीरतनियो-(न०) १. कीरतनिया जाति ___ लंबी चर्चा । दे० कींदरो।
का व्यक्ति । २. मंदिर में गा-बजा कर कीनास-(न०) यम । कीनाश । जम । कीर्तन करने वाला । ३. कीर्तनकार । कीनी-दे० कीधी।
कीरथम-दे० कीरथंभ । कीनो-दे० कीधो।
कीरथंभ-(न0) कीर्तिस्तम्भ । कीति स्थाई कीनोड़ो-दे० कीघोड़ो।
रखने के लिये बनाया हुआ स्तम्भ । कीन्ही-दे० कीधी।
स्मरण स्तम्भ । कीन्हो-दे० कीघो।
कीरप-(ना०) १. दया । अनुकंपा । करुणा। कीन्होड़ो-दे० कीघोड़ो।
२. किसी के दुखदर्द की वेदना । हमदर्दी । कीप-(न०) १. लोहे की चद्दर का बना सहानुभूति ।
छोटे मुह वाला तूग जैसा पानी का कीर्तन-दे० कीरतन । बरतन । २. बोतल में प्रवाही भरने का कीति-(ना०) १. यश । २. प्रशंमा । एक चोंगा । कीमो। ३. हाथी की कन- ३. ख्याति ।
पटी का मद । ४. कुप्पी । कूपी। कीर्तिस्तभ-दे० कीरथंभ । कीमत-(ना०) मूल्य । दाम । मोल । कील-(ना०) १. मेख । कीली। २. खूटी। कीमतरणी-(ना०) १. कीमत का अनुमान कीलगियो-(न०) मंत्रित कील को जमीन लगाना । जाँच ।
व खेजड़ी आदि में ठोंक कर भूतप्रेत को कीमतणो-(क्रि०) १. कीमत करना। मोल वश में करने वाला । कीलक । ___ करणो । मोलणो । २. कीमत लगाना। कीलणो--(क्रि०) भूतप्रेत आदि को मंत्र कीमतारणो-(क्रि०) कीमत करवाना। __पढ़ते हुये कील ठोंक कर वश में करना। कीमती-(वि०) मूल्यवान ।
कीलियो-(न०) कुएं में से पानी निकालने के कीमियागर-(न०) रसायनी।
चरस के रस्से को बैलों के जूए की रस्सी कीमियो-(न०) १. रासायनिक क्रिया । से कील द्वारा जोड़ने और बैलों का २. रसायन ।
चला कर कुएँ से चरस निकालने वाला कीमो-(न०) १. छोटे छोटे टुकड़ों में काटा व्यक्ति । हुआ खाद्य-मांस । २. बोतल में तरल कीली-दे० कील ।।
पदार्थ डालने का चोंगा। कीप । कीमो। कीवी-दे० कीधी। कीर-(न०) १. केवट । २. एक जाति । की-(वि०) कुछ । थोड़ा । किंचित ।
३. तोता । शुक । सूओ । सूवटो। कींक-(वि०) कुछ । किंचित । (प्रव्य०) कीरत-दे० कीति ।
कुछ तो। कीरतन-(न०) १. ईश्वर भजन और नाम कींगरणो-(क्रि०) १. रोना। २. शोक
कीर्तन । २. गायन-भजन । कीर्तन। मनाना । कीरतनिया-(न०ब०व०) १. एक घरबारी कींजरो-(न०)१. कलंक । लांछन । २.निंदा ।
वैष्णव-साधु जाति जो राम कृष्ण प्रादि बुराई । ' के धार्मिक चरित्रों का अभिनय करती कीजाँ-(क्रि०वि०) किस जगह । कहाँ । कठे। है। २. कीर्त नियों की मंडली। रास- कीदरो-(न०) १. दोषदर्शन । २. निंदा । धारियों की मंडली।
बुराई । ३. लंबी और निरर्थक बात ।
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