Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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( २५२ )
कृतयुग कूची-(ना०) १. चाबी । कुजी। ताली। लगाया जाने वाला मूल्य । २. परिमाण ।
२. दीवार पोतने का मूज का बना झाडू- ३. कूतने का काम । नुमा एक उपकरण । ३. चित्र बनाने की कूतणो-(क्रि०) १. तोलना । २. तोल, नाप टिटहरी के बालों की बनी कलम । ४. करना। ३. किसी वस्तु के तोल, माप, ऊंट की पीठ पर कसा जाने वाला पलान । परिमाण और मूल्य आदि का अनुमान पलाए। चारजामा। ५. उपाय । ६. करना । कूतना । रहस्य जानने का साधन । कुजी । कूताई-(ना०) १. कूतने की क्रिया या ऊंट की मूत्रन्द्रिय ।
___ मजदूरी। २. अनुमानित परिमाण, मूल्य कूचीडढो-(न०) कूची के समान दाढ़ी मादि । वाला । मुसलमान।
कूतो-(न0)१. अनुमान से किसी वस्तु का कूज-दे० कूझ ।
निश्चय किया गया परिमाण या मूल्य । जड़ी-(ना०) १. कुजड़े की स्त्री। (वि०) २. कूतने का काम । ३. खड़ी फसल का झगड़ालू ।
अनुमानित परिमाण । (वि०) परखने जड़ो--(न०) साग-सब्जी और फल बेचने वाला। परीक्षक। वाली जाति का मनुष्य । कुजड़ा। (वि०) कूपळ-(ना०) १. नया और कोमल पत्ता । झगड़ालू।
कोंपल । २. अंकुर । कुंभ-(ना०) क्रौंच पक्षी। कुरस। कूपळी-दे० कूपळ । कूट-(ना०) १. दिशा । कोण । २. कोना। कूपली-(ना०) चांदी आदि की बनी काजल
कोण। ३. ऊँट के पैर का बंधन । ४. रखने की छोटी डिबिया । २. टुडी। सीमा। ५. छोर । किनारा ।
नाभि । ३. दोनों पसलियों के नीचे और कंटाळ-(न०) १. सिंह । (वि०) १. दिशा पेट के ऊपर मध्यभाग का गड्ढा ।
वाला । २. अमुक दिशा से संबंधित ।। कूपलो-(न०) कुकुम, अरगजा, चोवा प्रादि कूटणो-(क्रि०) ऊँट के एक पैर को मोड़ ___रखने की डिबिया। __ कर बाँधना ।
कू पी(ना०) कुप्पी। कूठो-(न०) सांकल अटकाने का कोंढा । कूळो-(वि०) कोमल । नरम । कॅवळो । कुडा ।
कृत-(न०) १. मृत्यु भोज । कृत्य । २. मृतक कूडापंथ-(न०) एक वाम मार्ग ।
संस्कार । मृतक का क्रिया कर्म । ३. कूडापंथी-(न०) कूडा पथ का अनुयायी। काम । कृत्य । कर्म । (वि०) किया हुआ। कूडी-(ना०) १. पत्थर सीमेंट आदि का संपादित । २. बनाया हुआ। रचित ।
बनाया जल-पात्र । २. भोजन सामग्री ३. पूरा किया हुआ। रखने का एक पात्र।
कृतघण-(वि०) कृतघ्न । प्रकृतज्ञ । कंडो-(न०) चौड़े मुंह का एक पात्र । कृतघणी-दे० कृतघण । कूत-(ना०) १. समझ । बुद्धि । २. उपज। कृतघ्न-दे० कृतघण ।
३. उक्ति । ४. अनुमान । ५. कूतने का कृतघ्नी-दे० कृतघण । - काम । ६. योग्यता । ७. अनुभव । ८. कृतज्ञ-(वि०) अहसानमंद । यश । ९. प्रतिष्ठा । मान ।
कृतज्ञता-(ना०) अहसानमंदी । कूतरणी-(ना०) १. अनुमानित तोल पर कृतयुग-(न०) सतयुग ।
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