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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कीनरो ( २४२ ) कीदरी कीनरो-(न०) किसी के संबंध में निंदायुक्त कीरतनियो-(न०) १. कीरतनिया जाति ___ लंबी चर्चा । दे० कींदरो। का व्यक्ति । २. मंदिर में गा-बजा कर कीनास-(न०) यम । कीनाश । जम । कीर्तन करने वाला । ३. कीर्तनकार । कीनी-दे० कीधी। कीरथम-दे० कीरथंभ । कीनो-दे० कीधो। कीरथंभ-(न0) कीर्तिस्तम्भ । कीति स्थाई कीनोड़ो-दे० कीघोड़ो। रखने के लिये बनाया हुआ स्तम्भ । कीन्ही-दे० कीधी। स्मरण स्तम्भ । कीन्हो-दे० कीघो। कीरप-(ना०) १. दया । अनुकंपा । करुणा। कीन्होड़ो-दे० कीघोड़ो। २. किसी के दुखदर्द की वेदना । हमदर्दी । कीप-(न०) १. लोहे की चद्दर का बना सहानुभूति । छोटे मुह वाला तूग जैसा पानी का कीर्तन-दे० कीरतन । बरतन । २. बोतल में प्रवाही भरने का कीति-(ना०) १. यश । २. प्रशंमा । एक चोंगा । कीमो। ३. हाथी की कन- ३. ख्याति । पटी का मद । ४. कुप्पी । कूपी। कीर्तिस्तभ-दे० कीरथंभ । कीमत-(ना०) मूल्य । दाम । मोल । कील-(ना०) १. मेख । कीली। २. खूटी। कीमतरणी-(ना०) १. कीमत का अनुमान कीलगियो-(न०) मंत्रित कील को जमीन लगाना । जाँच । व खेजड़ी आदि में ठोंक कर भूतप्रेत को कीमतणो-(क्रि०) १. कीमत करना। मोल वश में करने वाला । कीलक । ___ करणो । मोलणो । २. कीमत लगाना। कीलणो--(क्रि०) भूतप्रेत आदि को मंत्र कीमतारणो-(क्रि०) कीमत करवाना। __पढ़ते हुये कील ठोंक कर वश में करना। कीमती-(वि०) मूल्यवान । कीलियो-(न०) कुएं में से पानी निकालने के कीमियागर-(न०) रसायनी। चरस के रस्से को बैलों के जूए की रस्सी कीमियो-(न०) १. रासायनिक क्रिया । से कील द्वारा जोड़ने और बैलों का २. रसायन । चला कर कुएँ से चरस निकालने वाला कीमो-(न०) १. छोटे छोटे टुकड़ों में काटा व्यक्ति । हुआ खाद्य-मांस । २. बोतल में तरल कीली-दे० कील ।। पदार्थ डालने का चोंगा। कीप । कीमो। कीवी-दे० कीधी। कीर-(न०) १. केवट । २. एक जाति । की-(वि०) कुछ । थोड़ा । किंचित । ३. तोता । शुक । सूओ । सूवटो। कींक-(वि०) कुछ । किंचित । (प्रव्य०) कीरत-दे० कीति । कुछ तो। कीरतन-(न०) १. ईश्वर भजन और नाम कींगरणो-(क्रि०) १. रोना। २. शोक कीर्तन । २. गायन-भजन । कीर्तन। मनाना । कीरतनिया-(न०ब०व०) १. एक घरबारी कींजरो-(न०)१. कलंक । लांछन । २.निंदा । वैष्णव-साधु जाति जो राम कृष्ण प्रादि बुराई । ' के धार्मिक चरित्रों का अभिनय करती कीजाँ-(क्रि०वि०) किस जगह । कहाँ । कठे। है। २. कीर्त नियों की मंडली। रास- कीदरो-(न०) १. दोषदर्शन । २. निंदा । धारियों की मंडली। बुराई । ३. लंबी और निरर्थक बात । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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