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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कायथण ( २२६ ) कारकूट कायथण-(ना०) १. कायस्थ जाति की कायो-(न०) लोहे का एक औजार जिसको स्त्री। पंचोलण। २. लोक गीतों की गरम करके किसी बरतन आदि में रांगा एक नायिका। से झालन लगाई जाती है। (वि०) १. कायथाणी-(ना०) १. लोक गीत । २.विवाह थका हुआ । क्लान्त । २. उकताया हुआ। के गीतों की एक नायिका। ३. कायस्थ ३. हैरान । तंग। जाति की स्त्री। कायो करणो-(मुहा०) १. थकाना । हैरान कायदो-(न०)१. मान । मर्यादा। प्रतिष्ठा। करना । २. विवश करना । २. नियम । ३. दस्तूर । रिवाज। कायो हुणो-(मुहा०) १. थकना। २. हैरान ३. कानून । विधान । ५. उर्दू भाषा होना । उकता जाना । ३. विवश होना । सीखने की पहली पुस्तक । मजबूर होना। कायब-(न०) कान्य । कविता। कार-(न०) १. वश । अधिकार । २. लाभ । कायब-कूतो-(वि०) काव्य की परीक्षा फायदा । ३. असर । प्रभाव । ४. उपाय । करने वाला। काव्यपरीक्षक । (न०) (ना०) १. रेखा । लकीर । २. सीमा । काव्य की परीक्षा का काम । ३. पाड़। ४. एक शब्द जो वर्णमाला के किसी अक्षर के साथ लग कर उसका कायम-दे० काइम । स्वतंत्र बोध कराता है, जैसे-प्रकार से कायमो-दे० काइमो। 'अ' का। मकार से 'म' का इत्यादि । कायर-(वि०) १. बिना साहस वाला। ५. एक शब्द जो किसी शब्द के आगे बेहिम्मत । डरपोक । डरपण । २. लग कर उसके करने वाले का बोध बुजदिल । कायरो-(प्रव्य०) १. किस बात का । २. कराता है, जैसे-व्यंजनकार । स्वर्णकार क्या। (वि०) भूरी आँखों वाला। इत्यादि । (वि०) करने वाला। बनाने वाला। ६. मोटर। कायलाणो-(न०) १. शिकार का रक्षित . कार आवरणो-(मुहा०) १. लाभप्रद होना । स्थान । २. जल-पक्षियों की शिकार का उपयोगी होना । (दवा का) २. काम में स्थान । ३. जोधपुर के निकट एक बड़ा पाना। तालाब जो एक समय राजाओं के जल- जल कारक-(न०) संज्ञा व सर्वनाम का वह रूप पक्षियों की शिकार का स्थान था। जिससे वाक्य में अन्य शब्दों के साथ कायली-(ना०) १. ग्लानि । खेद । २. उसका संबंध प्रगट होता है। (व्या०) । लज्जा । ३. थकावट । ४. सुस्ती ।। (वि०) १. करने वाला । कर्ता । २. उपकाहिली। योगी। लाभदायक। काया-(ना०) शरीर । देह । कार करण-(मुहा०) १. फायदा करोना । कायाकळप-दे० कायाकल्प । २. फायदा होना । (औषधि से) ३. काम कायाकल्प-(10) शरीर का जवान हो। करना । धंधा व्यवसाय करना। ' जाना। कार काढण-(मुहा०) १. संबंधो तोड़ना । कायाधाम-(न०) प्रात्मा । २. संबंध तोड़ने की प्रतिज्ञा करना। कायापूत-(न०) औरस पुत्र । ३. लकीर खींचना। काया भाड़ो-(न०) पेट भराई । कारकूट-(न०) बेचान । विक्रय । बै। कायाराम-(न०) प्रारमा । (जमीन का)। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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