Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कोषियो ( २३७ )
किणणो काधियो-(वि०) १. शव की ठठरी को कंधा काँवळी-(ना०) चील पक्षी । देने वाला । २. चापलूस ।
काँवळो-(न०) पीली चोंच और सफेद पांखों काँधो-(न०) कन्धा । खवो।
वाला गिद्ध जाति का एक पक्षी । काँप-(ना०) १. नदी में बह कर आई हुई काँस(न०) एक प्रकार की घास ।
मिट्टी । (न०) सेना-शिविर । कैम्प। काँसटियो-(न०) कसारा । ठठेरा । २.कांसी कापणी-(ना०) कंपन । थरथराहट । के बरतन बेचने वाला व्यापारी । धूजणी।
काँसाळ-(न०) १. झांझ । कसताल । काँपणो-(क्रि०) १. कांपना । थरथराना। ताल । २. मजीरा।।
धूजना। २. भय खाना । डरना। काँसा-रोग-(न०) १. गरीबी के कारण काँब-(ना०) १. बेंत । छड़ी। २. लम्बी खाने को नहीं मिलने की स्थिति । भूखा
पतली टहनी । ३. सोने या चाँदी को मरने की हालत । २. गरीबी। गाल कर रेजे में ढालने से बनी लम्बी काँसो-(न०) किसी व्यक्ति के लिये उसके छड़।
घर पर थाल में परोस कर भेजा जाने काँबड़-(न०) १. रामसा पीर (रामदेव) . वाला भोजन । २. परोसा हुआ भोजन ।
के चमार जाति के भक्त । २ तंबूरे पर भोजन । ३. कांसे का बना थाल या गाने का काम करने वाली एक जाति ।। थाली। ३. चमार जाति का याचक ।
काँहटो-(न०) किंवाड़ की सांकल । कुडी। काँबड़ियो-दे० कांबड़।
कूटो। काँबड़ी-(ना०) छड़ी। बेंत । काँध । तड़ी। कि-(अव्य०) १. अथवा । या। २. मानो। काँबळ-(ना०) दे० कामळ ।
गोया। ३. क्या । ४. कैसे । काँबळी-(ना०) कमली । कम्बल। किमोसड़ो-(न०) ब्राह्मण के लिये अपमान काँबळो-(न०) कम्बल ।
___ जनक शब्द । ब्राह्मण । काँबाटणी-(क्रि०) बेंत से मारना । बेंत से किचरणो-(क्रि०)१. पीसना । २. दाबना। प्रहार करना।
३. कुचलना । रौंदना । काँबी-(ना०) १. खुले पत्रों की हस्तलिखित किजातियो-(अव्य०)एक प्रश्न पद, जिसका
पुस्तक को पढ़ते समय पुस्तक अंगुलियों अर्थ-कौन सी जाति का।' 'किस जाति के पसीने से मैली न हो इसलिये अंगूठे का' अथवा 'जाति से कौन हो' होता है । के नीचे रखी रखी जाने वाली एक काष्ठ- किठा-(अव्य०)कौनसी जगह । किस जगह । पट्टिका। कम्बिका। २. पांव का एक कहाँ। गहना। ३. पतली छड़ी। ३. सोने या किण-(सर्व०) १. किस । २. किसने । ३. चांदी को पिघाल कर रेजे में ढाली हुई किसके । (ना०) १. किसी वस्तु की निरंलंबी पतली शलाका । वाळकी । ढाळी। तर रगड़ से हथेली की चमड़ी का ऊपरी काँबेटणो-दे० काबाटणो।
भाग का निर्जीव होकर मोटा हो जाना। काँय-(क्रि०वि०) १. कुछ भी। २. किस- प्राइठाण । प्रांटण । २. घाव पर पाने लिये।
वाला मोटा चमड़ा । खहंट। कायरो-(वि०) १. क्या। २. किस बात किणणो-(क्रि०) १. कराहना । २. रोना। - का। किरण बात रो।
३. खुशामद करना।
For Private and Personal Use Only