Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ऊमर
ऊंघीजणो ऊमर-(ना०) प्रायु।
ऊर्ध्वपुण्ड्र--(न०) वैष्णव सम्प्रदाय का ऊमरकोट-(न०) पाकिस्तान-सिंध प्रान्त खड़ा तिलक ।
के थरपारकर जिले का एक इतिहास ऊर्ध्ववायु-(न०) डकार। मुख से निकप्रसिद्ध नगर । मध्यकालीन सोढ़ाण क्षेत्र लने वाला वायु का उद्गार । की राजधानी । (एक समय यह मारवाड़ ऊर्मी-(ना०) १. लहर। २. मन की राज्य का भाग था ।)
__ लहर। ऊमर दराज-)वि०) दीर्घजीवी। ऊल-(ना०) जीभ का मैल । ऊमरदान-(न०) ऊमर काव्य के रचयिता ऊली-(वि०) १. इधर की। इस प्रोर ___ मारवाड़ के एक प्रसिद्ध चारण कवि । की। २. उधर की । उस प्रोर की । ऊमरो-(न०) १. द्वार भाग। घर का ऊलं-(सर्व०) १. इस । २. उस । द्वार और उसके आस-पास का भाग। ऊवट-(न०) ऊजड़। उत्पथ । विकट २. मुख्य द्वार के चौखट की नीचे वाली मार्ग । लकड़ी। देहली। बारोक। ३. हल से ऊवेलणो-(क्रि०) सहायता करना । बनने वाली पंक्ति । खेत में हल को चलाने ऊस-(न०) १. गाय भैंस का थन प्रदेश । से बनी रेखा।
२. थनों के ऊपर का वह भाग जिसमें ऊमस-(ना०) १. ऊष्णता । २. तपन । दूध रहता है। ३. वर्षा के पूर्व की गरमी।
ऊसर-(ना०) अनउपजाऊ भूमि । ऊमादे-दे० 'उमादे' और 'रूठी रागी'। ऊसव- (न0) उत्सव । ऊमावो--(न०) १. उत्साह । २. उमंग। ऊसस-(न०) १. जोश । आवेग । ___ सुखदायक मनोवेग।
२. उत्साह। ऊमाहणो--(क्रि०) उमंग में आना । ऊससणो- (क्रि०) १. जोश से फूल जाना ।
उमंगित होना । उत्साहित होना। २. ऊँचा उठना । ३. उत्साहित होना । ऊमाहो-दे० ऊमावो।
४. जोश में आकर युद्ध करना। ५. ऊरबो--(न०) १. प्राशा । २. दृढ़ प्रफुल्लित होना । प्रसन्न होना ।
विश्वास । ३. मान । प्रतिष्ठा । ऊं-(ना०) १. गर्व । २. अकड़। (सर्ग०) ऊरणो-(क्रि०) १. खोलते पानी में दाल,
उस। खीच प्रादि का डालना। २. चक्की के ऊंघ-(ना०) १. नींद । निद्रा। मुंह में पीसने के लिए मुट्ठी भर करके
ऊंघणो-(क्रि०) नींद लेना । दे०
___ऊंघीजणो। नाज डालना । ३. घोड़े पर सवार होकर अत्यन्त वेग से युद्ध में प्रवेश करना।।
ऊंघाणो-(क्रि०) दे० ऊंघावणो । (वि०) ऊरीजरणो-(क्रि०) १. दाल, खीच आदि
___सोया हुआ । निद्रित । निद्रावश ।। का गरम पानी होने पर हंडिया में डाला
ऊंघावणो-(क्रि०) १. सुलाना । २. बच्चे जाना । २. नुकसान में पड़ना । हानि
आदि को ऊंघाने का प्रयत्न करना। उठाना।
ऊंघीजणो-(क्रि०) १. नींद आना । ऊरू-(ना०) जाँघ । साथळ ।
२. एक स्थान पर सतत दबा रहने से ऊर्ध्व-(वि०) १. ऊंचा। ऊपर का ।
किसी अंग का (रक्त प्रवाह बन्द हो जाने ३. सीधा। ४. उन्नत । ऊँचा उठाया
से) सो जाना । ३. अनजान तथा प्रज्ञान हुआ।
में रहा करना।
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