Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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कन्याकुमारी ( १६९)
कपिल के विवाह के लिये कन्याओं की प्राप्ति कपर्दिका-(ना.) कौड़ी।
का प्रभाव । कन्याओं की कमी। कपर्दी-(न०) महादेव । कन्याकुमारी-(ना०)१. भारत के दक्षिरण कपदिनी-(ना०) पार्वती ।
किनारे का भूशिर । २. दुर्गा । कपाट-(न०) दरवाजे के पल्ले । किंवाड़। कन्यादान-(ना०) विवाह में धर्मशास्त्रा- पट । द्वार ।। नुसार वर को कन्या समर्पण करने की कपातर-दे० कुपातर । रीति ।
कपाळ-(न०) १. खोपड़ी । कपाल । कन्यावळ-(न०) १. पाणिग्रहण के दिन २. सिर । माथा । ३. भाल । ललाट ।
कन्या के वडीलों की ओर से रखा जाने कपाळ क्रिया-(ना०) शव-दाह के समय वाला उपवास । २. विवाह में वर को कपाल को तोड़कर उसमें घृत-आहुति कन्या समर्पण करने के बाद कन्या का देने की एक क्रिया। कपालक्रिया । मुख देख कर (उपवासी जनों की) भोजन कपाळकिरिया । करने की रीति। .
___ कपाळियो-(वि०) सिर खपा देने वाला। कन्याराशि-(न०) एक राशि । (ज्यो०) झौड़ी। झोरी। विवादी। (न०) १. कन्या विक्रय-(न०) कन्या देने के बदले में कापालिक । २. राठौड़ क्षत्रियों की पैसे लेने की क्रिया या भाव ।
कपाळिया शाखा का व्यक्ति। कन्याशाळा-(ना०) कन्यानों के पढ़ने की कपाळी-(न०) १. शिव । २. भैरव । पाठशाला।
कपालेश्वर-(न०) १. शिव । २. महादेव । कन्ह-(न०) श्रीकृष्ण ।
३. मारवाड़ के मालाणी प्रान्त में चोहकन्हैयो-(न०) १. श्रीकृष्ण । २. एक पक्षी। टण गांव का प्रसिद्ध शिव मन्दिर और कप-(न०) १. प्याला । २. कपि । बंदर । उसमें प्रतिष्ठित शिवलिंग। कपट-(न०) १. छल । दुराव । २. धोखा। कपावणो-(क्रि०) कटाना । कटवाना । . छळ ।
कटाणो। कपटाई-दे० कपट ।
कपास-(न०)१. रूई का पौधा । २. बिनौलों कपटी-(वि०) छली। दगाखोर । छळियो। . सहित रूई । ३. बिनौला। कपड़कोट-(न०) १. बड़ा तम्बू । खेमा। कपासियो-(न०) १. बिनौला । २. सिर शामियाना । २. वस्त्रागार। .
या खोपड़ी के अन्दर का गूदा। भेजा । कपड़छारण-(वि०) कपड़े से छाना हुआ। ३. पगतल या हथेली में उठने वाली
कपड़छान । चूर्ण को कपड़े से छानने की कपास के आकार की एक गाँठ । क्रिया।
कपासी-(वि०) कपास के फूल जैसे पीले कपड़णो-(क्रि०) 'पकड़णो' शब्द का रंग वाला । विपर्यय रूप । दे० पकड़णो।
कपि-(न०) १. बन्दर । २. हनुमान । कपड़े आयोड़ी-(वि०) रजस्वला । ऋतु. ३. हाथी । ४. सूर्य । मति । प्राभडियोड़ी।
कपिधुज-१. अर्जुन । कपिध्वज । कपड़ो-(न०) वस्त्र । कपड़ा । गाभो। कपिल-(न०) १. सांख्य दर्शन के प्रणेता कपड़ो लत्तो-(न०ब०व०) पहनने-प्रोढ़ने के ऋषि । २. शिव । ३. सूर्य । ४. अग्नि । कपड़े।
(वि०) १. सफेद । २. भूरा।
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