Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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अंकाग्रता । १७२ )
श्रेक काग्रता-(ना.) तल्लीनता। मन की कोई न हो ऐसा स्थान । २. अकेलास्थिरता।
पन। कारणो-(न०) इक्यानवाँ वर्ष । कांतरै-(प्रव्य०) १. एक दिन के अंतर अकारण- (वि०) नब्बे और एक । (न०) से। एक दिन के बाद । एक दिन का ___६१ की संख्या ।
बीच । अकारणू मों-(वि०) संख्या क्रम में जो अंकांतरो-(न०) एक दिन के अंतर से
नब्बे और बरानवे के बीच में आता हो। आने वाला ज्वर । (वि०) एक दिन का इक्यानवा ।
बीच देकर पाने वाला। अकादशी-दे० अकादसी।
अंकांतवास-(न०) १. एकान्त में रहना । अकादसी-(ना०) चांद्रमास के उभय पक्षों २. गुप्त रूप से रहना । की ग्यारहवीं तिथि।
अकांत वासी-(वि०) एकान्त वास करने अकादसो-(न०) १. मृतक का ग्यारहवें वाला।
दिन का कृत्य । २. ग्यारहवां दिन । अंकी-(ना०) १. वह जिस पर किसी एक अकाध-(वि०) १. कोई । कोई-कोई। वस्तु का चिह्न किया हुमा हो। २. जो २. क्वचित् । ३. कोई एक ।
दो से नि.शेष विभाजित न हो सके । अकाधो-(वि०) दे० अकाध ।
३. विषम संख्या । इकाई । ४. एक बूटी प्रेका बेका-दे० एकी-बेकी।
वाला ताश का पत्ता । ५. एक अंगुली अकावन-(वि०) पचास और श्रेक । (न०) उठाकर पिशाब करने को जाने का __ इक्यावन की संख्या, '५१'।
संकेत । ६. पिशाब की हाजत । मूत्रवेग । अंकावनमों-(वि०) संख्या क्रम में जो ७. एकता । मेल । सम्भूति ।
पचास और बावन के बीच में आता हो। अंकी-बेकी-(न०) १. विषम और सम अंकावनो-'न०) इक्यावनवां वर्ष । सख्या। २. विषम और सम संख्या को अंकावळ-(न०) १. एक लड़ी का हार ।। मुट्ठी बंद कर बताये जाने का एक प्रकार २. गले का एक गहना।।
का जुना। मुट्ठी में बंद किये गये दानों कावळ हार-दे० कावळ ।
की सम या विषम संख्या बताने की हार अकावळी-दे० इकावळी ।
जीत का एक द्यूत । ३. बालकों का एक अंकासपो-(न0) दिन में केवल एक बार खेल । ४. श्रेक अंगुली उठाकर पिशाब । भोजन करने का व्रत। एकाशन ।
और दो अंगुलियाँ उठाकर टट्टी जाने का अकांकी-(न0) एक ही अंक में समाप्त संकेत । ५. पिशाब और टट्टी। होने वाला नाटक।
अंकीसार--(वि०) एक जैसा । एक समान । कांगी-(वि०) १. एक अंग वाला । एकसा। २. अपंग । ३. एक तरफी । ४. एकेंद्रिय। अकूको-(वि०) एक एक । एक के बाद ५. एक ही बात को पकड़े रहने वाला मेक । एक के बाद दूसरा एक ।। हठी। जिद्दी । एकंगो।
__ अकेंद्रिय-(न०) वह जीव जिसके एक ही अंकांत-(वि०) १. किसी के आने-जाने से इंद्रिय होती है, जैसे-जोंक ।
रहित । २. खानगी । ३. अलग । अंक-(ना०) मास के पक्ष का प्रथम दिन । ४. बिलकुल । नितान्त । (न०) १. जहाँ एकम । प्रतिपदा ।
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