Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ऊंदरो ( १६६)
ऋषभदेव रोग । ३. दाढ़ी-मूछ के बाल उड़ जाने २. डालना । गेरना। ३. भरे हुए पात्र का एक रोग । ४. गंजरोग।
को टेढ़ा करके किसी दूसरे पात्र में खाली ऊंदरो-(न०) चूहा । मूषक ।
करना । ऊंच-(ना०) १. बैलगाड़ी का एक भाग। ऊधो-(वि०) १. उलटा । प्रौंधा ।
२. राजस्थानी खगोल साहित्य की सोलह २. विरुद्ध । ३. हानिकारक । (स्त्री० दिशाओं में से एक दिशा। उत्तर और ऊंधी। वायव्य कोण की दिशा । (वि०) औंधा। ऊधो-पाधरो-(वि०) उलटा-सुलटा । उलटा ।
ऊंब -(10) नैऋत कोण से ईशान कोण ऊंधकरमो-(वि०) १. उलटा काम करने की ओर अपेक्षाकृत नीचे प्राकाश में
वाला। २. बताये गये तरीके से नहीं तेजी से बहने वाला हलका बादल । करने वाला । ३. कुकर्मी। (स्त्री० लोर । ऊंध करमी)।
ऊंबरो-(न०) १. खेत में हल चलाने से ऊंधाकड़ो-(वि., दे० उंधकरमो। खिची रेखा । हल-रेखा । हल चलाकर ऊंधायलो--(न०)ौवे पात्र में शकरकंद प्रादि निकाली गई रेखा । २. दहेली । रखकर उसके ऊपर आग जला कर भाप दहलीज । से पकाना । २. इस प्रकार पकाने की ऊंबी--(ना०)जो या गेहूं की बाल ! ऊमी ।
क्रिया । ३. रोटी सेकने का उलटा तवा। ऊहूं-(प्रव्य०) १. अस्वीकृति प्रथवा हठ ऊंधावणो-(कि०) १. उलटा करना । सूचक एक उद्गार । २. नहीं । ना।
ऋ
ऋ - संस्कृत परिवार की राजस्थामी वर्ण- ऋतुमती-(वि०) १. रजस्वला । २. वह माला का सातवाँ स्वर वर्ण ।
जिसका रजोदर्शन काल समाप्त हो गया ऋग्वेद--(न०) चारों वेदों में से एक जो हो और संतानोत्पत्ति के लिये समागम
पहला और प्रधान माना जाता है। के योग्य हो। संसार की सबसे प्राचीन धर्म पुस्तक। ऋतुराज-(न०) वसंत ऋतु । ऋग्वेद ।
ऋतुस्नान-(ना०) रजोदर्शन के चौथे दिन ऋचा-(ना०) वेद मंत्र।।
का स्नान ।
ऋद्धि-(ना०) १. समृद्धि । वृद्धि । ऋण-(न०) कर्ज । देना । कर्जदारी।
२. सिद्धि । ३. लक्ष्मी । ४. पार्वती। ऋणी-(वि०) १. ऋण लेने वाला ।
ऋद्धि-सिद्धि-(ना०) समृद्धि पौर सफ__कर्जदार । २. उपकृत ।
लता। २. सुख सम्पत्ति । ऋत-- (न०) १. सत्य । २. अचल नियम।
ऋषभ-(न०) १. ऋषभावतार । २. ऋतु-(ना.) मौसम । पत । रितु ।
___ संगीत के सात स्वरों में से दूसरा । ऋतुकाल-(न०) स्त्रियों के रजोदर्शन ३.बैल । वृषभ ।
के बाद के सोलह दिन । गर्भाधान का ऋषभदेव-(न०) १. ऋषभावतार । समय।
२. प्रादि तीर्थंकर । रिषभदेव।
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