Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ज्यारो
(१३) उरणांरो-(सर्व०००) उनका। उतरणो-(क्रि०) १. मुकाम करना । उरिण-(सर्व०) १. उस। २. उसने ३. उसी। ठहरना । मुसाफरी में विश्राम करना । उसही। ४. उसी ने।
२. ऊपर से नीचे पाना। ३. सवारी उरिणयार-(वि०) समान । सदृश । अनु- आदि पर चढ़े हुए का सवारी करने से हार। (न०) १. समान मुखाकृति । पूर्व की स्थिति में (नीचे) पाना । २. सूरत । शक्ल ।
४. किसी पद या अधिकार का छिन उणियारो-(न०) १. मुखाकृति । सूरत । जाना। ५. पहिने हुएव स्त्र, आभूषण शक्ल । २. सादृश्य । ३. अनुकरण । आदि का अंग से विलग होना । ६. भोजन ४. रूप।
सामग्री का पक कर तैयार हो जाने पर उणियार-दे० उणियार ।
चूल्हे-भट्टी आदि से नीचे लिया जाना। उणिहारो-दे० उणियारो।
७. हिसाब, लेख आदि की प्रतिलिपि होना। उणी-(सर्व०) १. उसी । उसही ।
८. वर्ष, मास आदि काल विभाग का २. उसीने ।
समाप्त होना। ६. छायाचित्र (फोटो) उणीज-दे० उरणहिज।
खिंचना। १०. किसी वस्तु के भाव में
मंदी आना। ११. कान्तिहीन होना। उत-(म०) सुत । पुत्र । (क्रि०वि०) वहाँ।
१२. साँप, बिच्छू आदि के दंश का विष उधर । (उप०) एक उपसर्ग।
कम होना । १३. अशीच-सूतक आदि के उतकंठ-(क्रि० वि०) उत्कंठापूर्वक । २. ऊपर को गरदन उठाये हुए। (वि०)
कारण घढ़े आदि मिट्टी के बरतनों का उत्कंठित । २. आतुर ।
अव्यवहार्य होना। १४. चोट लगने के
कारण जोड़ की हड्डी का अपने स्थान से उतकंठा-(ना.) १. प्रबल इच्छा । प्रातु
खिसक जाना। १५. नदी-नाले आदि से रता । २. आशा।
पार होना । १६. चाक, खराद, कल या उतणो-(वि०) उतना।
साँचे आदि के द्वारा किसी वस्तु का तैयार उतन-(न०) १. वतन । जन्मभूमि ।
होना । १७. बुखार या सिरदर्द का कम २. देश । ३. निवास । ४. ठिकाना।
होना । १८. नशे का कम होना । उतपत-(ना०). उत्पत्ति ।
१६. किसी वस्तु पर चढ़े हुए रंग या उतपन-(वि०) उत्पन्न । (क्रि०भूष्का०)
मुलम्मे का फीका पड़जाना या उड़जाना। उत्पन्न हुआ। पैदा हुआ।
२०. किसी वस्तु को धोने, छीलने या उतपात-(न०) १. ऊधम । २. शरारत ।
छिलके आदि दूर करने के बाद मूल वस्तु ३. उपद्रव । ४. विनाश कारक आपत्ति । उत्पात । ५. दुख ।
का (अनुमानित) तौल बठना। २१. प्रावेश
या क्रोध आदि का कम होना। २२. किसी उतपाती-(वि०) १. नटखट । शरारती।
व्यक्ति या वस्तु के प्रति मन की वृत्ति का .२. उपद्रवी । उत्पाती। उतबंग-(न०) सिर । मस्तक । उत्तमांग ।
हट जाना या कम हो जाना । २३. नदी उतमंग-दे० उतबंग।
आदि जलाशय का पानी कम हो जाना । उतमाई-(ना.) १. उत्तमता। २. पवि- (अर्थ संख्या १ से ३ के अतिरिक्त
त्रता । अच्छापन । ३. विशेषता । सभी व्याखाएँ सम्बन्धित संज्ञाओं के साथ खूबी।
'उतरणो' क्रिया के लगने से यौगिक रूप
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