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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्यारो (१३) उरणांरो-(सर्व०००) उनका। उतरणो-(क्रि०) १. मुकाम करना । उरिण-(सर्व०) १. उस। २. उसने ३. उसी। ठहरना । मुसाफरी में विश्राम करना । उसही। ४. उसी ने। २. ऊपर से नीचे पाना। ३. सवारी उरिणयार-(वि०) समान । सदृश । अनु- आदि पर चढ़े हुए का सवारी करने से हार। (न०) १. समान मुखाकृति । पूर्व की स्थिति में (नीचे) पाना । २. सूरत । शक्ल । ४. किसी पद या अधिकार का छिन उणियारो-(न०) १. मुखाकृति । सूरत । जाना। ५. पहिने हुएव स्त्र, आभूषण शक्ल । २. सादृश्य । ३. अनुकरण । आदि का अंग से विलग होना । ६. भोजन ४. रूप। सामग्री का पक कर तैयार हो जाने पर उणियार-दे० उणियार । चूल्हे-भट्टी आदि से नीचे लिया जाना। उणिहारो-दे० उणियारो। ७. हिसाब, लेख आदि की प्रतिलिपि होना। उणी-(सर्व०) १. उसी । उसही । ८. वर्ष, मास आदि काल विभाग का २. उसीने । समाप्त होना। ६. छायाचित्र (फोटो) उणीज-दे० उरणहिज। खिंचना। १०. किसी वस्तु के भाव में मंदी आना। ११. कान्तिहीन होना। उत-(म०) सुत । पुत्र । (क्रि०वि०) वहाँ। १२. साँप, बिच्छू आदि के दंश का विष उधर । (उप०) एक उपसर्ग। कम होना । १३. अशीच-सूतक आदि के उतकंठ-(क्रि० वि०) उत्कंठापूर्वक । २. ऊपर को गरदन उठाये हुए। (वि०) कारण घढ़े आदि मिट्टी के बरतनों का उत्कंठित । २. आतुर । अव्यवहार्य होना। १४. चोट लगने के कारण जोड़ की हड्डी का अपने स्थान से उतकंठा-(ना.) १. प्रबल इच्छा । प्रातु खिसक जाना। १५. नदी-नाले आदि से रता । २. आशा। पार होना । १६. चाक, खराद, कल या उतणो-(वि०) उतना। साँचे आदि के द्वारा किसी वस्तु का तैयार उतन-(न०) १. वतन । जन्मभूमि । होना । १७. बुखार या सिरदर्द का कम २. देश । ३. निवास । ४. ठिकाना। होना । १८. नशे का कम होना । उतपत-(ना०). उत्पत्ति । १६. किसी वस्तु पर चढ़े हुए रंग या उतपन-(वि०) उत्पन्न । (क्रि०भूष्का०) मुलम्मे का फीका पड़जाना या उड़जाना। उत्पन्न हुआ। पैदा हुआ। २०. किसी वस्तु को धोने, छीलने या उतपात-(न०) १. ऊधम । २. शरारत । छिलके आदि दूर करने के बाद मूल वस्तु ३. उपद्रव । ४. विनाश कारक आपत्ति । उत्पात । ५. दुख । का (अनुमानित) तौल बठना। २१. प्रावेश या क्रोध आदि का कम होना। २२. किसी उतपाती-(वि०) १. नटखट । शरारती। व्यक्ति या वस्तु के प्रति मन की वृत्ति का .२. उपद्रवी । उत्पाती। उतबंग-(न०) सिर । मस्तक । उत्तमांग । हट जाना या कम हो जाना । २३. नदी उतमंग-दे० उतबंग। आदि जलाशय का पानी कम हो जाना । उतमाई-(ना.) १. उत्तमता। २. पवि- (अर्थ संख्या १ से ३ के अतिरिक्त त्रता । अच्छापन । ३. विशेषता । सभी व्याखाएँ सम्बन्धित संज्ञाओं के साथ खूबी। 'उतरणो' क्रिया के लगने से यौगिक रूप For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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