Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उपड़ोखियो
उपरल्यां उपडाँखियो-दे० उवडाँखियो । उपमा-(ना०) १. सादृश्य । समानता । उपत-(ना०) १. उपज । २. उत्पत्ति ।। २. मिलान । तुलना। ३. एक अर्था३. आमदनी । कमाई।
लंकार । उपदरो-दे० उपद्रव ।
उपमारण-(न०) १. जिस से उपमा दी उपदेश-(न०) १. शिक्षा । २. नसीहत ।।
जाय वह पदार्थ । २. सादृश्य तुल्यता । उपदेस-दे० उपदेश ।
३. दृष्टान्त । ४. प्रमाण विशेष । उपदेसणो-(क्रि०) उपदेश करना। उपमाता-(ना०) १. धाय । २. अपर
माता। उपद्रव-(न०) १. उत्पात । २. विप्लव । ३. गृह-कलह। ४. भूतादि का आवेश ।
उपमान-दे० उपमारण । ५. संकट । ६. लड़ाई । ७. रोग ।
उपमेय-(वि०) जिसकी उपमा दी जाय ।
वर्ण्य । बीमारी। ८. महामारी । ६. बीमारी
उपयुक्त-(वि०) योग्य । उचित । में अन्य बीमारी।
उपयोग-(न०) १. व्यवहार । प्रयोग । उपद्रवी-(वि०) उपद्रव करने वाला ।
इस्तेमाल । १. लाभ । ३. आवश्यकता । उत्पाती।
४. प्रयोजन । उपधातु-(ना०) मिश्र धातु जैसे-काँसा, उपरणी-(ना०) १. खिड़कियां या चूंचपीतल मादि ।
दार पाघ के ऊपर बाँधी जाने वाली उपनगर-(न०) नगर का बाहरी भाग ।।
विभिन्न रंग की एक छोटी पगड़ी। स्थाई सर्बब।
रूप से बंधी हुई पगड़ी के ऊपर छोटी उपनयो-(क्रि०) उत्पन्न होना ।
पगड़ी। २. ओढ़ने का छोटा वस्त्र । उपनाम-(न०) दूसरा नाम ।
दुपट्टी। उपनायक-(न०) नाटक वार्तादि में मुख्य उपरणो-(न०) १. ऊपर से प्रोढ़ने का नायक का सहकारी नायक ।
वस्त्र । चादर । पिछोड़ी। उपनायिका-(ना०) मुख्य स्त्री पात्र के उपरम-(न०) १. अंतर्धान । लुप्त । बाद का दूसरा स्त्री पात्र ।
विलीन । २. उपराम । विरति । उपनियम-(10) पेटानियम ।
३. विश्राम । आराम । ४. मृत्यु । . उपनिषद--(न०) वेद की शाखानों के ५. संन्यास। ब्राह्मण ग्रंथों के वे अंतिम भाग जिनमें उपरमरणो-(क्रि०) १. अंतर्धान होना । ब्रह्मविद्या का निरूपण किया हुआ होता विलीन होना । २. खिसक जाना ।
३. उपराम होना। निवृत्त होना । विरक्त उपन्नो-(वि०) उत्पन्न । (भू०क्रि०) उत्पन्न होना। ४. पाराम करना । विश्राम हुआ। (स्त्री० उपन्नी)।
करना। ५. मरना । । उपभाषा-(ना०) मुख्य भाषा का गौण उपरल्याँ-(नाब०व०) १. वायु में विचभेद । बोली।
रण करने वाली वात-प्रकोप की कल्पित उपभोग-(न०) किसी वस्तु के व्यवहार लोक देवियाँ । मैलड़ियां, मावड़ियां,
का सुख । २. किसी वस्तु को उपयोग में बायांसा आदि । २. एक वात रोग । लेना।
वात पीड़ा। ३. बच्चों का एक वात उपमंत्री-(न०) सहायक मंत्री।
रोग । बाल लकवा।
For Private and Personal Use Only