Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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उद्योर
( १४ )
उधार-लहणो
उद्घोर-दे० उद्धार । उधार ।
वस्तु) का लेन-देन । ३. गाहकों में लेना उद्भव-(न०) १. जन्म । उत्पत्ति । रुपया। तकाजा । उघाई। लेनदारी । उद्यम-(न०) १. परिश्रम । २. उद्योग। (सं०पु०) ४. उद्धार । मुक्ति । छुटकारा। घंधा। काम । ३. यत्न । प्रयास। उधार करणो-(मुहा०) १. नाम पर ४. पुरुषार्थ ।
लिखकर माल बेचना । रुपया बाकी रख उद्यमी-(वि०) उद्यम करने वाला। कर माल बेचना। २. उद्धार करना । उद्यान-(न0) बाग । बगीचा।
उधार खातो-(न०) अल्पकालिक उधार उद्योग-(न०) १. धंधा। रोजगार । दी गई या ली गई रकमों (रुपया-पैसा
२. प्रयत्न । चेष्टा । कोशिश । ३. परि- आदि) का अस्थाई (प्रायः बिना ब्याज का) श्रम ।
खाता । २. उधार। उद्योत-(न०) प्रकाश । तेज । उधारण-(न०) समुद्र । (वि०) उद्धार उद्योतवंत-(वि०) प्रकाशमान । जाज्वल्य- करने वाला। मान ।
उधारण-अळियळ-(न०) समुद्र । उद्रक-(न०) डर । भय ।
उधारणीक-(वि०) १. ऋणपत्र का एक उद्रावणो-(क्रि०) भय दिखाना । डराना। पारिभाषिक शब्द । ऋण लेने वाला। (वि०) भयावना । डरावना ।
उद्धारणिक । ३. रुपये उधार लेकर उद्रेक-(न०) वृद्धि । अधिकता ।
खत (दस्तावेज) लिखकर देने वाला । उधड़णो-(क्रि०) १. सिले हुए का टांका ऋणपत्र लिख कर देने वाला। टूट जाना । २. उखड़ना ।
उधारणीनाम-(न०) १. ऋण पत्र उधमणो-दे० ऊधमणो।
(दस्तावेज) का एक पारिभाषिक पद । उधरणो-दे० उद्धरणो।
२. ऋण लेने वाले का नाम । ३. ऋण उधरत-(ना०) १. वह लेन-देन जिसको पत्र (खत) लिखाने वाले का नाम ।
(कच्ची रोकड़-बही में से) पक्की रोकड़- आसामी का नाम । ४. खत (दस्तावेव) बही में नहीं लिखा जाता है। २. अल्प में लिखे जाने वाले ऋणी का नाम । समय के लिये बिना ब्याज की जाने वाली उधारणो-(क्रि०) १. उधार ले जाने लेन-देन । ३. निश्चित अल्प कालिक वाले के नाम पर बही में लिखना। अवधि के अंदर (जिसमें रकम का ब्याज २. बही में लेखे (उधार) बाजू में रकम नहीं चढ़ता) लेन-देन का चुकता किया का लिखना। उधार की नोंध करना । जाना। ४. बिना लिखा लेन-देन (ऋण)। ३. उधार बाजू में खर्च की रकम लिखना। जबानी लेन-देन ।
४. उद्धार करना । निस्तार करना। उधळणो-दे० ऊधळपो।।
उधारनूध-दे० उधार बही । उधळियोड़ी-दे० ऊधळियोड़ी। उधार बही-दे० उधार वही । उधार-(ना०) १. पैसे बाकी रखकर की उधार-लहरणो-(न०) ग्राहकों को उधार
गई माल की खरीदी। बाद में चुकाने की दिये हुए माल के बकाया रुपये । नियत से नाम पर लिखवाकर की गई (क्रि०) १. नाम पर लिखवाकर माल खरीदी । २. बाद में चुका देने की नियत खरीदना। २. नाम लिखवाकर रुपये से किया जाने वाला रुपये-पैसे (या किसी लेना।
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