Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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पासूदो । ११० )
प्राइंस पासूदो-दे० पासूधो।
का स्थान । मठ । ४. मनुष्य जीवन की परिवार और धन- अलग-अलग चार अवस्थाएँ । कार्य की धान्य से सम्पन्न । २. धन का । ३. स्वस्थ । दृष्टि से आर्यों (हिन्दुओं) द्वारा मनुष्य की ४. जिसने विश्राम लेकर थकान दूर कर आयु के किये गये शास्त्रोक्त चार विभाग । ली हो । अक्लान्त । ५. काम में नहीं ५. दशनामी संन्यासियों की एक शाखा । ली हुई (वस्तु)। ६. बिना जोता हुआ ६. चार की संख्या का संकेत शब्द । (खेत) ।पड़तल । पाउषो।
प्रास्रय-दे० आश्रय । पासू-दे० प्रावूला।
प्रास्रीवाद-दे० आशीर्वाद । प्रासेर-(न0) किला । दुर्ग । गढ़। आस्वाद-(न०) स्वाद । जायका । सवाद । आसो-(न०) १. सोने या चांदी का आह-(अव्य०) एक कष्ट सूचक शब्द । एक डंडा जिसे राजाओं और मठाधीशों ग्राहट-(ना०) चलने का शब्द । पैर का के आगे चोबदार लेकर चलता है। खुड़का । २. साधुओं का एक प्रासन से बैठकर आहड़नरेश-(नo) सीसोदिया वंश का भजन करते समय आगे की ओर हाथों राजा। मेवाड़ के महाराणाओं की एक को टिकाकर सहारा लेने का एक उप- उपाधि । करण । ३. पाश्विन मास । ४. लाल रंग पाहड़-पाहड़े--(क्रि० वि०) आसपास । को एक शराब । पासव । ५. ध्यान । पाहड़ो-(न०) १. सीसोदिया वंश का विचार । ६. एक रागिनी । (वि०) क्षत्री । २. आहड़ का निवासी। महीन । झीना।
पाहण-(न०) १. प्रासन । २. ऊंट के प्रासोज-(न०) प्राश्विन मास । प्रासो। पलान की बैठक । ३. युद्ध । ४. सेना ।
आहणणो-(क्रि०). १. मारना । नाश पासोजी-(वि०) प्रासोज मास का। (न0) ____ करना । २. युद्ध करना । प्रासोजी बारहट नाम का एक प्रसिद्ध आहत-(वि०) घायल । जख्मी । चारण कवि।
प्राहरट-(ना.) १. सेना । २. युद्ध । पास्तिक-(वि०) ईश्वर का अस्तित्व ३. संहार । मानने वाला।
पाहरण-(न०) आभरण । प्राभूषण । आस्तीन-(ना०) पहनने के कपड़े की बांह। आहरी-(ना०) खींप, सिरिया आदि प्रास्ते-(क्रि० वि०) धीरे ।
घास की सीकों से बनाई हुई इंडुरी । प्रास्था (ना०) १. श्रद्धा । २. सहारा ।
प्राश्रयी। प्रास्थान-(न०) १. बैठने का स्थान । प्राहरो-(न०)१. बड़ी प्राहरी। २.मकान । २. सभा । दे० आसथान ।
३. झोंपड़ा । ४. पाश्रय । प्रासरो। प्रास्पद-(न०) १. स्थान । जगह । पाहव-(न०) युद्ध । लड़ाई।
२. आधार । ३. कुल । वंश । ४. जाति। पाहवरणो-(क्रि०) युद्ध करना । भिड़ना। ५. पद । मोहदो।
आहंचरणो--(क्रि०) १. मारना । नाश प्रास्रम-(10) १. ऋषि-मुनियों का करना । २. प्रहार करना । निवास स्थान । पाश्रम । २. तपस्वी की आहंस-(न०) १. अंश। ३. प्रात्मबल । कुटिया। ३. साधु-संन्यासियों के रहने ३. पराक्रम । शक्ति । ४. साहस ।
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