Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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ईरखाळे के वे अवयव जिनके द्वारा यह शक्ति इंसान--(न०)१. मनुष्य। २. मानव जाति । विषयों का ज्ञान प्राप्त करती है । इंसाफ-दे० इनसाफ । (कर्मेंद्रिय) । ४. इंद्रिय ।
इंस्पैक्टर-(न0) निरीक्षक ।
ई-संस्कृत परिवार की राजस्थानी ईत-(ना०) पशुओं की चमड़ी में चिपका
भाषा की वर्ण माला का चौथा स्वर रह कर खून चूसने वाला एक छोटा वर्ण । 'इ' का दीर्घ रूप।
कीड़ा। ई-(सर्व०) यह । (अव्य०) १. ही । २. भी। ईतरणो-दे० इतरणो। ई-(सर्व०)१. इसने । २. इस । ३.इससे। ईति-(ना०) खेती को हानि पहुंचाने वाले
(वि०) ऐसे । इसी प्रकार के । __उपद्रव । ईकड़-(न०) मूग-मोठ के जैसा एक जंगली ईद-(ना०) मुसलमानों का एक त्योहार ।
द्विदल नाज और उसका पौवा । इसे ईनणी-दे० ईंधणी। पका कर गाय भैस आदि को खिलाते हैं। ईन-मीन-(वि०) इने-गिने। अल्प । थोड़े। ईकार-(न०) 'ई' वर्ण।
ईन-मीन-तीन-दे० ईन-मीन । ईख-(ना०) १. दृष्टि । २. गन्ना । ऊख । ईनलो-(वि०) इधर का। इस अोर का । ईखण(ना०) नेत्र । प्राँख । ईक्षण। ईनूणी---दे० ईंढोणी । ईखणो-(क्रि०) देखना।
ईनै-(सर्व०) इसको । (क्रि०वि०) इधर । ईटणो-(क्रि०) १. उपयोग करना। काम यहाँ । में लाना । २. बखेरना। छितराना। ईमान-(न०) १. धर्म । २. नीयत । ३. बहाना । बहा देना।
३. अच्छी नीयत । ४. विश्वास भरोसा । ईठ-(न०) १. इष्ट । २. पति ।
५. प्रामाणिकता। ईडर- (न०) १. ऊंट की छाती में उभरा ईमानदार-(वि०) १. सच्चाई से काम हुआ एक गोल खुरदरा स्थान । २. गुज- करने वाला । सच्चा । खरा । २. व्यवहार
रात का एक ऐतिहासिक नगर और राज्य। शुद्ध । ३. विश्वासपात्र । ४. धर्मभीरू । ईडरियो--(वि०) १. ईडर का। ईडर ५. प्रामाणिक । संबंधी । २. ईडर निवासी।
ईमानदारी-(ना०) १. सच्चाई । २. व्यवईढ-(ना०) १. समानता । तुलना । हार शुद्धता । ३. धर्माचरण । ४. प्रामाबराबरी । २. ईर्ष्या । डाह । ३. शत्रुता। णिकता।। बैर । ४. हठ ।
ईमानी-दे० इमानी। ईढक-(न०) नगाड़ा।
ईयेरै-दे० इयेरै। ईढग-दे० ईढगरो।
ईयेरो-दे० इयेरो। ईढगरो-(वि०) १. बराबरी करने वाला। ईयेवळ-(क्रि०वि०) इस ओर । इधर ।
२. ईर्ष्यालु । ३. पीछे नहीं रहने वाला। ईरखा-(ना०) ईर्ष्या । डाह । ४. शत्रु । बैरी।
ईरखाळू -(वि०) ईर्ष्यालु ।
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