Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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'शब्द ।
आहंसरणो ( ११८ )
प्राईणी ५. प्राण । ६. जीवात्मा । ७. व्यक्तित्व। पाहुटणो- (क्रि०) १. युद्ध करना । ८. स्वाभिमान ।
२. मारना । वीरगति को प्राप्त होना । पाहंसगो-(क्रि०) १. साहस करना । ३. व्यर्थ गवाना । नष्ट करना । ४. नष्ट
२. आत्मबल का जाग्रत होना। ३. असीम होना । ५. पीछे मुड़ना । ६. भागजाना । शक्ति से भिड़ना।
चलेजाना। पाहंसी-(वि०) १. साहसी । २. तेजस्वी। पाहुड़-(न०) युद्ध ।
प्रतापी। ३. प्रात्मबली । ४. स्वाभिमानी। पाहुड़गो-(क्रि०) १. लड़ना । भिड़ना । पाहा-(अव्य०) आश्चर्य और हर्ष सूचक युद्ध करना।
आहुति-(ना०) १. हवन में मंत्र बोलने के पाहाड-(न0) मेवाड़ का एक ऐतिहासिक साथ घी, तिल, जो इत्यादि की डाली जाने प्राचीन नगर । प्राघाट ।
वाली सामग्री। २. वह मात्रा जो एक पाहाडो-(न०) पाहाड़ नगर से संबंधित बार हवन में डाली जाय । ३. बलिदान । होने के कारण मेवाड़ के गहलोत शासकों
४. समर्पण। का एक नाम।
पाहटमा--(न0) चित्तौड़ के सिसोदियों आहार - (न०) भोजन ।
का एक विरुद। (वि०) युद्ध रसिक । आहार-विहार--(न०) रहन-सहन ।
युद्धप्रिय । पाहिज-(सर्व०) यही । (अव्य०) यही तो। आहू-(न०) आश्विन मास । प्रासोज । आहिस्ता--दे० प्रास्ते ।
पाहूठरणो-दे० प्राहुटणो। . अाही--(सर्व०) यही।
पाहूत--(वि०) निमंत्रित । बुलाया हुआ। ग्राहीठागा-दे० प्राइठाण ।
बुलायोड़ो। ग्राहीणी-दे० ग्राईणी । आँईगी। पाहूतरण--(ना०) १. अग्नि । आग । ग्राहीर--(न०) अहीर । गूजर ।
२. निमंत्रण । बुलावो। तेड़ो। (वि0) ग्राहीवाळो-(10) ऋणी की अोर से निमंत्रित ।
ऋण दाता को लिखकर दिये गये दस्ता- अाहेड़-(ना०) शिकार । आखेट । वेज की वह शर्त जिसके अनुसार अमूक आहेडियो-दे० प्राहेड़ी। अवधि के अंदर ऋण न चुकाया जा सके . अाहेड़ी-(न०) १. शिकारी। प्राखेटक । तो ऋणी की चल-अचल सम्पत्ति जिसका २. भील । ३. थोरी । ४. आर्द्रा नक्षत्र । दस्तावेज में नामोल्लेख किया हया रहता अाहेड़ो-(न०) १. शिकार । प्राखेट । है, ऋणदाता का अधिकार हो जाता २. शिकारी। आखेटक ।
अाँ-(सर्व०ब०व०) १. इन्होंने । इणां । पाहीवाळो-खत-(न0) ऋणी की ओर २. ये । (वि०) इन । इनके । (अव्य०)
से ऋणदाता को लिखकर दिया गया एक नकारात्मक उद्गार । 'पाँहाँ' का दस्तावेज, जिसमें प्राहीवाळे की शर्ते छोटा रूप । २. पाश्चर्य सूचक उद्गार । लिखी रहती हैं।
प्राईगी-(ना०) वह गाय या भैंस जिसने पाहुगाळ-दे० ग्राउगाळ ।
पुनः बियाने तक (बियाने के कुछ समय पाहुगाळो---दे० प्राउगाळो ।
पूर्व) दूध देना बंद कर दिया हो । माहुट–'न०) युद्ध।
प्राणी।
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