Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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पासा (१ )
मासू प्रासा-(ना०) १. माशा । उम्मेद २. गर्भ। (अनाज का अमुक भाग) रूप में हासल हमल । ३. दिशा।
देकर बोहरे की जमीन जोतने वाला प्रासाउत-दे० प्रासारणी सं०१०
व्यक्ति। प्रासाऊ-(वि०) प्राशावान ।
आसामीदार-(न०) १. बोहरगत का पासागीर-(वि०) आशावान ।
काम करने वाला व्यक्ति। प्रासामियों प्रासाढ-(न०) प्राषाढ़ मास । जेठ और वाला। २. प्रतिष्ठित व्यक्ति । ३. धनसावन के बीच का महीना ।
वान । ४. मुखिया । आसाढी-(वि०) आषाढ़ मास संबंधी। आसामुखी-(वि०) माशावान । प्राषाढ़ मास का।
प्रासार--(10) लक्षण । चिन्ह । २. ढंग । प्रासारण- (वि.) आसान । सरल । तरीका । ३. दीवार की चौड़ाई । सुगम ।
मोसार । ४. वर्षा की झड़ी। ५. अतिप्रासारणी-(10) १. प्रासकर्ण का पुत्र वर्षा ।
प्रसिद्ध वीर दुर्गादास राठौड़। (ना०) प्रासालुध्ध--(वि०) १. प्राशालुन्ध । प्रासानी । सरलता । (क्रि०वि०) आसानी आशावान । २. प्रेमातुर । से । सुगमता से।
प्रासालुध्धी-(वि०) पाशान्वित । प्रासान-दे० प्रासारण ।
प्रासाळ -(वि०) आशावान । प्रासापुरा-(ना०) आशा पूर्ण करनेवाली प्रासावत-दे० प्रासाउत । एक देवी । आशापूर्णा ।
पासावंत-(वि०) प्राशावान । आसापुरी-दे० प्रासापुरा।
पासावरि-दे० आसापुर । प्रासापुरी धूप-(न०) देव पूजन के लिये प्रासावरी-(ना०) प्रभात समय गाई जाने
(गंध द्रव्यों को कूट कर) बनाया हुआ वाली एक रागिनी। एक सुगंधित धूप।
प्रासावान-(वि०) प्राशावान । प्रासा बरदार-(न०) सोने या चाँदी के आसावासा-(न०) १. किसी व्यक्ति का बने पासा को लेकर राजा या महंत के विशेष आने-जाने का स्थान । २. रहने
आगे चलने वाला सेवक । चौबदार। का स्थान । आसाम-(न०) भारत का एक पूर्वोत्तरीय प्रासाँ-दे० प्रावाला। प्रदेश ।
आसिरवाद-दे० प्रासीस । प्रासामी-(वि०) अासाम देश का । प्रासी-(भकि०) आयेगा। (ना०) सर्प की
प्रासाम देश से संबंधित । (न0) १. लोक। दाढ़। जन । व्यक्ति । २. ऋणी। देनदार। आसीवाळो-दे० पाहीवाळो । ३. प्रतिष्ठित व्यक्ति। ४. मुवक्किल। आसीस-(ना०) आशिष । पाशीर्वाद । ५. अभियुक्त । ५. कृषक । ७. वह व्यक्ति प्रासीसणो-(क्रि०) आशिष देना । जिससे लेन-देन या आर्थिक-प्राप्ति का आसींगणो--(क्रि०) १. स्थानान्तर या व्यवहार हो। ८. ऋणदाता का वह ग्रामान्तर का रुचिकर होना । मन लगना। कर्जदार कृषक जो अपनी खेती के काम प्रासुगाळ-दे० पाउगाळ । के लिये काटा और व्याज से समय-समय आसुगाळो-दे० प्राउगाळ । पर उससे कर्ज लेता रहता है । ६. भोग प्रासू-दे० पाहू ।
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