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( १५ )
गुण
रूप, रस, गन्ध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, बुद्धि, सुख, दु:ख, इच्छा, द्वेष, यत्न, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह, संस्कार, धर्म, अधर्म, और शब्द ये चौबीस
गुण F
रूप
।
पीत,
केवल आँखों से ही दीखने वाला गुण 'रूप' है । द्रव्य जाता है जिसमें कि रूप हो । आकाशादि में रूप नहीं है, सुतराम् द्रव्य के चाक्षुर प्रत्यक्ष में भी रूप सहायककारण है केवल द्रव्य ही नहीं जिस किसी का भी चाक्षुष प्रत्यक्ष हो- रूप किसी न किसी प्रकार अपेक्षित होगा ही । फलतः चक्षु से सभी ज्ञान कार्यों के सम्पादन में रूप सहायककारण है । यह शुक्ल, नील, हरित, रक्त, कपिश, और चित्र भेद से सात प्रकार का है । चित्र रूप के प्रसङ्ग में कुछ विवाद है । कुछ लोग कथित नीलादि रूपों से भिन्न चित्र नाम का कोई अतिरिक्त रूप नहीं मानते । सिद्धान्तियों का कहना है कि संयोग की तरह रूप अपने किसी आश्रय के एक अंश में रहे और दूसरे अंश में नहीं - ऐसा नहीं होता ( रूप अव्याप्यवृत्ति नहीं है ) किन्तु रूप अपने आश्रय के सभी अंशों में रहता है ( अतः वह व्याप्यवृत्ति है ) इस नियम के अनुसार जो छींट प्रभृति अनेक रङ्गों के कपड़े हैं, उनमें कोई रूप सभी अंशों में नहीं है । किन्तु वे भी रूपवाले द्रव्य हैं क्योंकि उनका चाक्षुष प्रत्यक्ष होता है । तस्मात् उनमें नीलादि से भिन्न कोई रूप मानना पड़ेगा । वही चित्र रूप है ।
भी वही आँखों से देखा अतः वे नहीं देखे जाते ।
पृथिवी में ये सभी रूप रहते हैं । जल और तेज इन दोनों में केवल शुक्ल रूप ही है । शुक्ल रूप को छोड़कर और किसी रूप के आवान्तर वास्तविक भेद नहीं हैं । शुक्ल रूप भास्वर और अभास्वर भेद से दो प्रकार का है। जल में अभास्वर शुक्लरूप है, और तेज में भास्वर शुक्ल रूप है ।
रस
केवल रसनेन्द्रिय से ज्ञात होनेवाले गुण को रस कहते हैं । यह मधुर अम्ल लवण कटुकषाय और तिक्त भेद से छः प्रकार का है । यह पृथिवी और जल इन दो द्रव्यों में ही रहता है । पृथिवी में सभी प्रकार के रस रहते हैं, और जल में केवल मधुर रस ही रहता है ।
गन्ध
घ्राण से ज्ञात होनेवाले गुण को 'गन्ध' कहते हैं । यह सुगन्ध और दुर्गन्ध भेद से दो प्रकार का है, एवं यह केवल पृथिवी में ही रहता है ।
स्पर्श
For Private And Personal
केवल त्वचा रूप इन्द्रिय से ज्ञात हो सकनेवाले गुण को स्पर्श कहते हैं । यह पृथिवी, जल, तेज, और वायु इन चार द्रव्यों में रहता है । शीत, उष्ण और अनुष्णाशीत
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