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ललिताङ्ग कुमारकी कथा।।
इसी जम्बूद्वीपके भरत नामक क्षेत्रमें श्रीवास नामका एक नगर था। वहाँ बहुतेरे राजाओंको अपना दास बनानेवाले नरवाहन नामके राजा राज्य करते थे। उनके कमला नामकी रानी थी, जिनका मुख कमलके समान था, उनके ललिताङ्ग नामका एक पुत्र था, जो बड़ा ही बुद्धिमान् , चतुर बहत्तर कलाओंमें निपुण और शस्त्र तथा शास्त्र-विद्यामें प्रवीण था। वह दीपककी भांति अपने कुलको उज्ज्वल किये हुए था। दीपकसे तो काजल भी निकलता है, परन्तु कुमारमें जरा भी दोष नहीं था। वह अवस्थामें छोटे थे, तोभी उनमें बहुतसे गुण थे, इसीलिये वह बड़े थे ; क्योंकि सिरके बाल सफेद हो जानेसे ही कोई बड़ा नहीं हो जाता। जो युवा होनेपर भी गुणी हो, वही वृद्ध है। ___ ललिताङ्ग कुमारमें और और गुण तो थेही, परन्तु उनको दानशीलतासे अधिक प्रेम था ; जैसा आनन्द उन्हें याचकोंको देखकर होता था, वैसा कथा, काव्य, कविता, अश्व और गजकी लीला देखकर भी नहीं होता था। जिस दिन कोई याचक नहीं आता, उस दिनको वे बहुत बुरा मानते थे। जिस दिन कोई