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करुणा के अमर देवता २६ आवागमन चालू रहता है । प्रतिवर्ष अनेक साधु-साध्वी वर्ग भी आपके दर्शनार्थ रतलाम आया करते हैं। चातुर्मास के दिनों में अतिथियों का विशेष आवागमन रहता है। वस्तुतः नीम चौक की रौनक देखते ही बनती है। कुछ वर्षों पहले चतुर्विध संघ ने आपके ही सखद सान्निध्य में "श्री मज्जैनाचार्य परमश्रद्धेय श्री मन्नालाल जी महाराज शताब्दी महोत्सव" इसी रतलाम की रम्यस्थली पर शानदार ढंग से एक विशाल आयोजन के रूप में मनाया था। तब स्थानीय एवं बाहर के संघों द्वारा चरित्रनायक श्री का "अमृत महोत्सव" भी आयोजित किया गया। उसी संदर्भ में त्यागी वर्ग (साधु-साध्वी) की ओर से चरित्रनायक श्री को “शासन सम्राट" की पदवी से विभूषित किया गया। इस प्रकार काफी वर्षों से स्थानीय श्री संघ पूरी आत्मीयता के साथ अतिथि सेवा करता हुआ जिन शासन की प्रभावना में चार चांद लगा रहा है।
बीच में स्वास्थ्य की सुधरती हुई हालत को देखकर आप श्री ने विहार भी कर दिया था। कहते हैं कि-"भगवान-भक्त के वश में होते हैं।" तदनुसार महान् तपोधनी श्री भेरूलाल जी महाराज एवं स्थानीय श्री संघ के अत्याग्रह पर पुनः नीम चौक धर्म स्थानक में आपश्री का पदार्पण हुआ। इस पर रतलाम श्री संघ के आबालबृद्ध सभी सदस्य फूले नहीं समाये । गुरुदेव का वहाँ विराजना अमृत वृष्टि-सा सिद्ध हो रहा है । कई भव्यात्माएं ज्ञान-ध्यान से, दर्शन-प्रवचन से एवं व्याख्यान वाणी के अनुपम लाभ से लाभान्वित हो रही है। इसीलिए कहा है
भारत के ओ संत तुम्हारा जीवन है जग में आदर्श ।
पापी पावन हुए तुम्हारे-चरण मणि का पाकर स्पर्श ।। व्यक्तित्व में एक अनोखा आकर्षण, सरलता-ऋजुता उदारता, हृदय की पवित्रता-माधुर्यता एवं दयालुता जिनके जीवन की परम निधि है। परम धरोहर है। उस असीम गरिमा-महिमा सम्पन्न मालव रत्न स्थविर पद विभूषित परम श्रद्धेय प्रातःस्मरणीय करुणा सागर ज्योतिषाचार्य गुरु भगवंत श्री कस्तुरचन्द जी महाराज के पावन चरण कमलों में श्रद्धा भक्ति समन्वित पुष्प अर्पण करता हुआ क्षण-क्षण, पल-पल, उस आराध्यदेव से सुदीर्घ जीवन की शुभकामना करता हुआ मैं अपनी लेखनी को विश्राम देता हूँ :
तुम सलामत रहो वर्ष हजार । हर वर्ष के दिन हों पचास हजार ।।
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