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शुभकामना एवं श्रद्धार्चन
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0 बालकवि श्री सुभाषमुनि 'सुमन' [तपस्वी श्री वृद्धिचन्दजी महाराज
के शिष्यरत्न]
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(मनोहर छन्व) महान मनस्वी प्यारा, करुणा का देवता जी। दया, सिन्धु गुरुवर, पर - उपकारी हैं। धन्य तेरी जननी को, जन्म जहाँ पाया गुरु । हरषित फूलीबाई आप गुणधारी हैं। रत्तीचन्द पिताजी के, नन्दन सुहाने प्यारे। महामना उपाध्याय, महिमा अपारी है। कहत "सुभाष मुनि" गुरुवर कस्तूर जी। यथानाम तथागुण, आप हितकारी हैं ॥१॥
पाये गुरु खूबचन्द, छत्ती रिद्धी त्यागी महा । खूब किया ज्ञान ध्यान, संयम उजारी है। ज्योतिर्विद् गुरुवर, जन - जन सुखकर । कामना रहित गुरु, ममता को मारी है। जीवन पवित्र तेरा, गंगा सी निर्मल धारा। गुण गावो हर क्षण, हृदय में धारी हैं। कहत “सुभाष मुनि” उपाध्याय कस्तूर के। प्रतिपल चरण में, वन्दना हमारी है ॥२॥
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