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शुभकामना एवं श्रद्धार्चन
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'आचार्य श्री हुक्मेश गच्छ' के संत आप मनोज्ञ हैं। सुन्दर परीक्षक भी अहा ! कर्तव्य योग्य में योग्य हैं। अवलोक अद्भुत तर्क शक्ति दुष्ट दल दहला रहा। गुरुदेव कस्तूरचन्द यश मलयाद्रि सम महके महा ।।
वात्सल्यता पा करके जिनकी शिष्य-वृन्द मोद मना रहा । कमनीय-कविता में सुयश विश्व जिनका गा रहा ॥ मुनिवन्द जिनकी मान्यता मन मुदित हो अपना रहा । गुरुदेव कस्तूरचन्द यश मलयाद्रि सम महके महा ।।
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सच्छास्त्र मुनियों को सिखाने में रखे जो स्फूर्ति है। मुनि मण्डल जिनको मानता सौजन्यता की मूर्ति है। पद-पंकज में संघ समाज भृग मन लुभा रहा। गुरुदेव कस्तूरचन्द यश मलयाद्रि सम महके महा ॥
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