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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
महिमा महके
तपस्वी 'अभय मुनि' (मेवाड़भूषण पं० श्री प्रतापमलजी म० के शिष्य)
(तर्ज-रेशमी सलवार .......) महा मालव के रत्न बड़े उपकारी हैं।
महिमा जिनकी महके जगत् मझारी है ॥टेर।। नगर 'जावरा' प्यारा, "पिता रतिचन्द' गुणधारी। माता 'फूली' उजियारा, चपलोत गोत्र सुखकारी ॥
- महा बलिहारी है ॥१॥ चौदह वर्ष की वय में, संसार की ममता त्यागी। प्रिय पंच महाव्रतों के, बन गये आप अनुरागी॥
ज्ञान भण्डारी हैं ॥२॥ गुरु खूबचन्द्र जी धारे, जो पूज्य प्रवर पद वाले। जो महागुणी तेजस्वी, थे अद्भुत शक्ति वाले ॥
महिमा भारी है॥३॥ आगम का ज्ञान सुहाना, गुरुवर ने विनय से पाया। भूले-भटके पथिकों को, सच्चा राही है बनाया ॥
मंगलकारी हैं ॥४॥ अहो करुणा के सागर, मेरा वन्दन स्वीकारो। हमको भी कस्तूर गुरुवर, है जग में शरण तिहारो॥
'अभय' सुविचारी है ॥५॥
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