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जैन धर्म, दर्शन संस्कृति का
हुआ विवेचन रम्य । ज्योतिष के गम्भीर ज्ञान का
किया बुद्धि से गम्य । मुनिद्वय के अभिनन्दन ग्रन्थ का
खंड पाँचवा पूर्ण । षष्ठ खंड में संत - सतीजन
का परिचय है तूर्ण ।
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