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मालवा : एक भौगोलिक परिवेश २१३ मी० लम्बा तथा ५०० से ६०० मीटर तक की ऊँचाइयों में स्थित है। नागदा, सिंगार, चोटी तथा गोमानपुर प्रधान ऊँची चोटियाँ हैं।
(३) पश्चिमी नर्मदा ट्रफ-उदयपुरा और कुक्षी के बीच उपजाऊ भूमि पाई जाती है। यहां का ढाल क्षतिज परन्तु सान्तर है। उदयपुरा के नीचे हाडियातर होशंगाबाद मैदान पाया जाता है । इसके दक्षिण में क्वार्टजाइट की पहाड़ियाँ फैली हैं ।
(४) पश्चिमी सतपुड़ा-नर्मदा तथा ताप्ती जल विभाजक इसके पश्चिमी भाग का निर्माण डकन ट्रैप से हुआ है, यहाँ २०-४० कि० मी० चौड़ी असमान तथा सान्तर पहाड़ियां पाई जाती हैं । पूर्वी भाग का निर्माण, तालचीट, वरार तथा विजौरी प्रगों में हुआ है। इसमें कोयला धारक चट्टानें पायी जाती हैं।
प्रवाह तन्त्र मालवा प्रदेश में पंचमढ़ी सबसे ऊंचा स्थान है। यहाँ अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होने वाले जल प्रवाह स्थित हैं। नर्मदा, ताप्ती तथा माही प्रथम कोटि और चम्बल तथा बेतवा यमुना नदी में मिलकर दूसरी कोटि की नदियाँ हैं ।
___टाल्मी ने नर्मदा को 'नमडोज' के नाम से पुकारा है। जबकि पुराणों में इसको 'रेवा' नाम से सम्बोधित किया गया है । यहां होशंगाबाद में ३०० मीटर ऊँचे अनेकानेक जलप्रपात, दीपिकाएँ तथा गह्वर पाये जाते हैं। विन्ध्याचल एवं सतपुड़ा की पहाड़ियों से बहुसंख्या में सहायक नदियाँ इसमें आकर मिलती हैं। माही नदी को पुराणों में मनोरमा नदी के नाम से पुकारा गया है । धार जिले के लगभग ६१७ मीटर की ऊँचाई से निकलकर यह नदी १६० कि० मी० मध्य प्रदेश में प्रवाहित होती हुई डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा के मध्य सीमा बनाती है । इस प्रदेश की तीसरी प्रसिद्ध नदी चम्बल है। यह इन्दौर जिले के ४४ मी. ऊँचे मानपुर स्थान से निकलती है जो विन्ध्यान कगार के उत्तरी भाग में स्थित है। यह नदी ३२५ कि० मी० की लम्बाई तक एक गार्ज से प्रवाहित होती है। इस नदी का सबसे अधिक उपयोग चम्बल घाटी परियोजना बनाकर किया जा रहा है । गम्भीर, छोटी काली सिन्ध, नेवाज, परवान, पारवती, चमला तथा देतम चम्बल की प्रमुख लेकिन बरसाती नदियाँ हैं।
जलवायु, मिट्टी एवं वनस्पति यहां की जलवायु उष्ण मानसूनी किस्म की एवं स्वास्थ्यवर्धक है। रातें शीतल एवं दिन गर्म होते हैं। यहां पर विन्ध्यान तथा सतपुड़ा के पूर्व-पश्चिम समानान्तर होने के कारण अरब सागर की मानसून इन्हीं के समानान्तर प्रवाहित होती है। इस प्रदेश में मुख्य रूप से तीन-शीत, ग्रीष्म एवं वर्षा-ऋतुएँ अनुभव की जाती हैं। इनका विस्तार भारतीय ऋतुओं की भांति देखा जाता है। ग्रीष्म महीनों में मानसून हवाएँ अधिक तेज एवं दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ प्रवाहित होती है। यहाँ की औसत वर्षा ११० से०मी० है जबकि न्यूनतम एवं अधिकतम ८ से०मी० से २१० से०मी० तक है। होशंगाबाद
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