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जैन ज्योतिष साहित्य : एक दृष्टि
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उपर्युक्त विवरण को देखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जैनाचार्यों ने ज्योतिष पर पर्याप्त रूप से साहित्य सृजन कर दिशादान दिया है। अब यदि उनके द्वारा दिये गये मार्गदर्शन का लाभ हम नहीं उठाते हैं, तो यह हमारा दुर्भाग्य ही है। आज भी जैनाचार्यों द्वारा प्रणीत अनेकानेक ग्रंथ छिपे हुए पड़े हैं। ऐसे छिपे हुए ग्रंथों में अन्य विषयों के साथ-साथ ज्योतिष के ग्रंथों की भी उपलब्धि सम्भव है।
जैनाचार्यों ने ज्योतिष साहित्य की अपनी गंगा को न केवल उत्तरी भारत में ही बहाया वरन् उसका प्रसार हमें दक्षिण भारत में भी मिलता है। इससे स्पष्ट है कि जैन ज्योतिष साहित्य जितना प्राचीन है, उतने ही व्यापक रूप से लिखा भी गया है। अब तो केवल उसको प्रकाश में लाने की आवश्यकता है जिससे जैन मान्यताओं का उद्घाटन हो सके। विश्वास है कि जिज्ञासू विद्वान एवं अनुसन्धानकर्ता इस दिशा में कुछ करेंगे।
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