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शुभकामना एवं श्रद्धार्चन
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जय ज्योतिर्धर की - सफल वक्ता अजीत मुनिजी 'निर्मल'
(तर्ज-जय बोलो महावीर"") जय बोलो महामना गुणीवर की। गुरु श्री कस्तूर मुनिवर की ॥टेर।।
मालव की श्यामल शस्य धरा । अवतार जावरा नगर वरा ।।
__ चपलोद वंश उजागर की ॥१॥ पितु 'रतिचन्दजी' गुणरागी। मातेश 'फूली जी' बड़भागी ।
गुरु भ्राता 'केशरी' मनहर की ॥२॥ हुक्मेश गच्छ के 'खूबाचार्य' । पाये गुरुवर त्यागी आर्य ।
___ 'श्री नन्दमुनि जी' शिष्यवर की ॥३॥ जिन पथ के सत्याग्रही आप। उज्ज्वल जीवन से रंगा प्रताप ।।
पावन मनीषी मंगल कर की ॥४॥ गणपति सम शोभित देह-भाल। मन सिन्धु से भी अति विशाल ॥
नैतिक सरगम के यशोधर की ॥५॥ ज्ञानलोक के शांति-समता के सुखद-कुंज ॥
निष्णात पुरुष ज्योतिष्धर की ॥६॥ श्रद्धा के सुमन स्वीकार करो। नव शक्ति-क्रांति अपार भरो॥
निर्मल 'अजीत' श्रेयस्कर की।।७।।
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