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श्रद्धार्चन
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हैं। उसमें आपने विपाक-सूत्र---याने दुःख विपाक तथा सुख-विपाक के आधार पर कर्मों के फल पर विशेष प्रकाश डाला है।
श्रमण संघ ने अजमेर सम्मेलन में आपको प्रवर्तक पद से विभूषित किया है। इससे आपकी विद्वत्ता आदि का परिचय मिलता है। आप अपने इस गरिमामय पद का बड़े उत्तरदायित्वपूर्ण ढंग से निर्वाह कर रहे हैं।
आपने अपने संयमी जीवन में जैनधर्म के प्रचार एवं प्रसार के लिये मध्यप्रदेश, राजस्थान, गजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश आ प्रान्तों में विहार किया और जनमानस में धर्म जागृति की भावना फैलाई ।
ऐसे महान व्यक्तित्व के जीवन की महिमा एवं गरिमा की जितनी भी व्याख्या की जाय, उतनी स्वल्प है। ऐसे त्यागमय आदर्श जीवन के प्रति मैं अपनी हार्दिक भावाञ्जलि समर्पित करता हूँ।
मेरे श्रद्धा के केन्द्र
0 तपोधनी श्री वसंत मुनिजी महाराज पवित्र-प्रेरणादायी 'मन्दसौर' नगरी इतिहास प्रसिद्ध है । जिस नगरी को चरम तीर्थकर महाराज वर्धमान ने पावन किया है। उसी क्षेत्र के प्रतिष्ठित श्रावक श्री लक्ष्मीचन्द जी दूगड़ के सुपुत्र माता हगामबाई के लाल श्री हीरालाल जी महाराज जो आज श्रमण संघ के प्रवर्तक के रूप में विद्यमान हैं । ये इसी भूमि को सुरभित करने वाले अनमोल हीरे हैं।
आपने अपने प्रबल वैराग्य भावों से प्रेरित होकर सं० १९७६ में मध्य प्रांत के रामपुरा नगर में आदर्श त्यागी पूज्य श्री खूबचन्दजी महाराज के पास दीक्षा स्वीकार की।
गुरुदेव वादीमान-मर्दक श्री नन्दलालजी महाराज से बड़ी उत्कण्ठा एवं विनम्रता से आगमों का ज्ञान प्राप्त किया।
आज आपका अभिनन्दन करते हुए मुझे परम हर्षानुभूति हो रही है । क्योंकि आपके साथ रहने एवं चातुर्मास करने का मुझे कुछ अवसर प्राप्त हुआ है। देहली, कानपुर, कलकत्ता, सिकन्दराबाद आदि स्थानों पर वर्षावास में मैं आपका सहवासी रहा हूँ। आपकी प्रकृति बड़ी ही सरल एवं स्वच्छ है ।
__ आपकी प्रवचन प्रतिभा बहुत सुन्दर है। वाणी में माधुर्यता, ओज-गाम्भीर्यता आदि गुण स्वभावतः प्रवाहमान हैं।
आपने नि:स्वार्थ भाव से राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, बंगाल, पंजाब, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक-केरल एवं तमिलनाडु आदि प्रदेशों में परिभ्रमण करते हुए जिन शासन के गौरव को गौरवान्वित किया और आज भी चतुर्विध संघ में ज्ञान-दर्शन-चारित्र और धार्मिक प्रभावना की अभिवृद्धि कर रहे हैं। भविष्य में इसी तरह प्रभावना बढ़ाते रहें इसी मंगल कामना के साथ मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ।
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