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१६२ मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ संदेश सैद्धांतिक व्याख्याता को
अभिनंदनीय समर्पण
जैनागम, विश्व एवं व्यक्ति जीवन की कुंजी है। इसके तात्त्विक रहस्य यथेष्ट रूप से मार्मिक हैं। इन सैद्धान्तिक व्याख्याओं को समुचित ढंग से अधिकृत-विज्ञ व्यक्ति ही दर्शा सकता है।
___इस प्रकार की कठिनतम-दुरूह पहेलियों को चुटकियों में सुलझाने की सहज क्षमता जैनागमतत्त्वविशारद प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज में स्वतः ही परिलक्षित होती है । जैनागम की गहन गुत्थियाँ ही नहीं, वरन् जीवन के आगत जटिल जंजालों से भी परे करने की विलक्षण कला के दर्शन प्रवर्तकश्री जी में हो ही जाते हैं।
प्रवचन एवं वार्ताओं के दौर में आप सहज ही जिनवाणी की प्रतीति कराते रहते हैं। समय सूचकता आपके स्वभाव की विशेषता मानी जायेगी।
साधु-साध्वियों को आगम-वाचना देने में आपकी प्रसन्नता प्रशंसनीय है । आप ज्ञान-दान में कभी सकुचाते नहीं हैं।
'मुणिणो सया जागरंति ।"
के आप प्रतीक कहे जा सकते हैं। परावलम्बी जीवन को आप पसन्द नहीं करते हैं । आप सदा ही पुरुषार्थ को प्रेरणा दिया करते हैं।
महामना वरिष्ठ संत प्रवर्तक पंडितरत्न श्रद्धेय श्री हीरालालजी महाराज को उनकी दीक्षा स्वर्ण जयन्ती के मंगल प्रसंग पर जिन-शासन प्रभावक के नाते अभिनन्दनीय समर्पण प्रस्तुत करता हूँ।
-मूल मुनि
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