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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
अभिनन्दन - एकादशी
कवि श्री चन्दनमुनिजी महाराज (पंजाबी)
(१)
मधुर महक कस्तूरी-सी जो, जग को देने
वाला ।
" श्री कस्तूरचन्दजी" कैसा, सुन्दर नाम
(३)
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निराला !!
पिता सेठ " श्री रतीचन्दजी", माता "फूली बाई" । ओसवाल - चपलोत - गोत की,
प्रगटाई
पुण्याई ॥
(५)
उगनीसौ बासठ - कातिक की,
शुक्ला तेरस धूमधाम से " रामपुरा "
बने महाव्रत
(७)
प्यारी ।
में,
धारी ॥
दिव्य देह मुखमण्डल मालिकमुद्रा मुस्काती पण्डित प्राकृत, संस्कृत, हिन्दीके हैं गुजराती के ॥ (ह)
" मालवरत्न" कहाते हैं यों,
मालव प्रान्त जगाया । वैसे दया-धर्म का झण्डा, जगह-जगह
लहराया ||
के ।
(२)
जन्म जेठ की पहली तेरस, उगनीसौ उनचासा ।
शहर "जावरा" जनता की जब, पूर्ण हुई अभिलाषा ॥ (४)
प्यारा ।
" खूबचन्द" आचार्य वर्य - सा, पाकर गुरुवर दुनिया के आराम धाम से, इक दिन किया किनारा | (६) आगम-ज्ञाता बने, बने हैंज्योतिष के भी ज्ञाता । दम, शम, संयम गहन गुणों का,
पार नहीं है आता ॥ (5) त्यागी औ वैरागी सच्चे,
समता - सत्य - पुजारी । सन्त आप सा विरला होगा, कोई पर
उपकारी ॥
(१०) ध्यानी अमृतवाणी, शास्त्रों के व्याख्यानी । मिलना मुश्किल जगतीतल पर, मुनिवर उनका सानी ॥
ज्ञानी
(११)
अर्पन |
अर्द्ध खिले दो सुमन श्रद्धा के, करके चरणन करता है अभिनन्दन वन्दन, पंजाबी “मुनि चन्दन" |
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