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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
हे क्षमासागर दयानिधे ! आपके सुशिष्य सेवाभावी मुनिश्री दीपचन्दजी महाराज साहब ने भी श्राविकाओं एवं बच्चों को किस्से-कहानियों एवं चौपाई द्वारा धार्मिक सुसंस्कार देने की बड़ी कृपा की है इसे भी हम नहीं मूल सकेंगे ।
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इस चातुर्मास की अवधि में हमसे जान-अनजान में किसी प्रकार से आपका अविनय हुआ हो, आपके हृदय को किसी प्रकार की व्यथा पहुँची हो तो हम नतमस्तक अत्यन्त विनम्रभाव से हार्दिक क्षमा माँगते हैं । आप उदार चित्त हो हमें क्षमा प्रदान कीजियेगा, और इस शहर को पुनः पावन करने की कृपा कीजिये ।
अन्त में, श्री जिनेश्वर से यह विनम्र प्रार्थना हम करते हैं कि आप चिरायु होकर देश के कोने-कोने में जैनधर्म का प्रचार करते हुए जिन शासन की शोभा बढ़ाते रहें ।
विदाई का समय है, हृदय गद् गद् हो रहा है अधिक क्या वर्णन करें। इन चन्द शब्दों ही फूल की जगह पाँखुड़ी के रूप में आपके चरण कमलों में सविनय समर्पित कर संतोष का अनुभव करते हैं ।
चातुर्मास सं० २०१८ बेंगलोर सिटी,
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आपके विनयावनत
श्री स्थानकवासी जैन श्रावक संघ
बेंगलोर
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