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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
संदेश
जावरा शहर को अमूल्य निधि
मालवरत्न उपाध्याय, करुणासागर श्रद्धेय श्री कस्तूरचन्दजी महाराज जावरा के सन्तरत्न हैं। आपने बाल्यावस्था में ही दीक्षा ग्रहण कर हमारे नगर की शोभा में और भी अभिवृद्धि कर दी है। हमें आपके संयमी जीवन पर बड़ा गर्व है।
आपके जीवन में गंभीरता, उदारता, दयालुता, क्षमता-समता-करुणासह-मैत्री आदि विशिष्ट गुण शोभा पा रहे हैं।
हम अधिक क्या लिखें, अनेकानेक लेखकों ने आपकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
आपके दीक्षा लेने के पश्चात् आपके सगे ज्येष्ठ भ्राता श्री केशरीमलजी ने भी संयम स्वीकार किया, जिनकी अपने विद्वत्ता-त्याग-वैराग्य-संयम से श्रेष्ठ मुनियों में गणना की गई है।
भविष्य में भावी पीढ़ियां भी आपको न भूलें एतदर्थ यहाँ पर नई बस्ती चौपाटी पर एक "केशर-कस्तूर स्वाध्याय भवन" की स्थापना की गई है।
____ महिमावंत मुनि पुंगव सुदीर्घकाल तक समाज के अभ्युत्थान में रत रहें, ऐसी हमारी शुभकामना है।
श्री व० स्था० जैन श्रावक संघ अध्यक्ष सुजानमल मेहता जावरा (म० प्र०)
भावांजलि
परमपूज्य श्री अशोक मुनिजी की प्रेरणा से इन महान् सन्तों का हमें परिचय हुआ है। ऐसे पूज्य और महान् सन्तों को बार्शी स्थानकवासी जैनसंघ वन्दनीय द्वय गुरु चरणों में भाव सुमन अर्पण करता है !
-श्री व० स्था० जैन संघ, बार्शी
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