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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
संदेया व्यक्तियों की करुण पुकार सुनकर मन, वचन, काया से उन्हें सुखी बनाने में
जुट जाते हैं।
___करुणासागर मालवरत्न पूज्य गुरुदेव श्री कस्तूरचन्दजी महाराज साहब स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के वयोवृद्ध आगमज्ञ स्थविर मुनिराज हैं । आपकी ७२ वर्ष की सुदीर्घ संयम साधना निर्मल एवं सुदृढ़ है। आप शान्त-दान्त, गम्भीर एवं प्रसन्नमुखी मुनिराज हैं। आपकी रग-रग में करुणा की धारा प्रवाहित है। आपके सदुपदेश से स्वधर्मी सहायक फण्ड कई स्थानों पर चल रहे हैं। ज्योतिष एवं जैनागमों का तलस्पर्शी गहरा पाण्डित्य आपकी मधुर वाणी में व्याप्त है। आपकी ८५ वर्ष की वृद्धावस्था में भी स्मरण-शक्ति बहुत तेज है। एक बार किसी से परिचय हो जाता है तो उसे कभी भूलते नहीं हैं । आपके सान्निध्य में अनेकों मुनिवरों ने ज्ञानध्यान की वृद्धि की है। आपके अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पण की मंगलमय वेला में हम भावाञ्जलि अर्पित करते हुए सुदीर्घ संयमी जीवन की प्रार्थना करते हैं।
0 सन्त जीवन गंगाजल के अजस्र प्रवाह की भाँति निर्मल एवं पवित्र होता है। गंगा जहां-जहाँ पहुँचती है वहाँ-वहां का वातावरण सुरम्य एवं मनोहारी हो जाता है, सरसता व्याप्त हो जाती है । ठीक इसी प्रकार सन्त समागम से भव-भव के पातक हट जाते हैं । अज्ञानान्धकार मिटकर ज्ञानज्योति प्रकट हो जाती है। प्र० श्री हीरालालजी महाराज स्पष्टवक्ता एवं क्रियाशील आगमप्रेमी सन्त हैं । आपने अपने संयमी जीवन में पादविहार कर सदर प्रान्तों में जैसे कन्याकूमारी, आन्ध्र प्रदेश, कर्णाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, बंगाल, नेपाल, गुजरात आदि में धर्म का प्रचार किया है। आप सरल स्वभावी, निष्कपट जीवन के मनि हैं। आपने अपने प्रवास काल में अनेक स्थानों पर रचनात्मक प्रवृत्तियों की स्थापना करवाई है।
२०२७ का वर्षावास मेवाड़ की वीर भूमि चित्तौड़गढ़ में हुआ। आपकी अमृतमय वाणी से प्रभावित होकर श्रावक संघ ने "जैनदिवाकर शिक्षण संस्था" की स्थापना की है। जो आज भव्य इमारत के रूप में अपना कार्य प्रगतिशील बनकर कर रही है । जहाँ पर बालक-बालिकाओं में धार्मिक संस्कार मजबूत बनाये जाते हैं। आपकी स्वर्ण जयन्ती के शुभावसर पर हम आपके पावन चरणों में भावाञ्जलि अर्पित करते हुए शासनेश से प्रार्थना करते हैं कि-आप दीर्घायु बनकर जैन शासन के गौरव को अक्षुण्ण बनाये रखें।
-भवदीय
मोतीलाल पटवारी मंत्री, वर्द्ध० स्था० जैन श्रावक संघ, चित्तौड़गढ़
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