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१३० मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ लोक-मानस के उन्नायक प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज 10 जनार्या प्रभाकुमारी 'कुसुम'
भारतीय संस्कृति को लोकोपयोगी बनाने एवं उसके अलौकिक प्रभाव से लोकमानस को प्रभावित करने में सन्त-समुदाय का समय-समय पर अथक प्रयास रहा है।
मध्यप्रदेश में स्थित मन्दसौर शहर में एक यशस्वी आत्मा का जन्म हुआ, जिनका कि मंगल नाम है-जैनागमतत्त्वविशारद पंडित प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज ।
यथानाम तथागुण के अनुरूप ही आप सरलता-सहिष्णुतादि गुणों से संयुक्त हैं, आगम-वारिधि श्री हीरालालजी महाराज का जीवन वास्तव में सच्चे साधक का जीवन है । आपके जीवन में साहस, लगन, चिन्तन एवं रत्नत्रय का अद्भुत समन्वय है ।
आपकी प्रवचन शैली जैनागम सम्मत होते हुए भी रोचक रही है। आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली है । आप अपने प्रवर्तक-पद को भली-भांति निभा रहे हैं।
आप अहिंसा और सत्य के समर्थक एवं प्रबल प्रचारक हैं। आपने भारत के कई प्रदेशों में विचरण करते हुए भगवान महावीर की वाणी को व्यापक रूप दिया है। आपके अनेक मौलिक तत्त्वों को हमने कई बार हृदयंगम किया। आप गहन तात्त्विक प्रवक्ता हैं।
जिनशासन के प्रबल प्रचारक आगमनिधि श्री हीरालालजी महाराज चिरायु बनें ! हमें आपश्री का आशीर्वाद एवं जन-जीवन के उत्थान हेतु आपश्री की प्रेरणा सदैव मिलती रहे। इसी विनम्र भावना के साथ श्रद्धा सहित सादर वन्दनांजलि समर्पित है ।
जैनजगत् की विमल विभूति 'जैनागमतत्त्वविशारद' प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज
। मदनलाल जैन, (रावलपिंडो) संत महिमा
संत सत्पथ के केवल पथिक ही नहीं, अपितु संसार को सत्पथ प्रदर्शित करने वाले प्रकाश स्तम्भ और भव-सागर के तैराक होने के साथ-साथ तारक भी होते हैं। संत जन-जन के हितैषी महापुरुष होते हैं। जिनके मन में सदैव ही सभी के उत्थान की मंगल कामना छिपी रहती है। भारतीय संस्कृति में संत जीवन का इसीलिए सर्वोपरि स्थान रहा है। दिव्य ज्योति स्वरूप
मालव धरा के संतरत्न परम श्रद्धेय महान् दिव्य-ज्योति प्रवर्तक श्री हीरालाल
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