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अभिनन्दन-पुष्प
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करुणासागर के चरणों में
। चन्द्रशेखर कटारिया नीमचौक, रतलाम (म० प्र०)
परम श्रद्धेय मालवरत्न ज्योतिर्विद् गुरुदेव श्री कस्तूरचन्दजी महाराज वर्तमान युग में स्थानकवासी समाज में एक युगपुरुष के रूप में विद्यमानता रखते हैं। जीवन को जीने की कला की मार्मिक समीक्षा प्रत्येक प्राणी के लिए आपकी एक महानतम देन के रूप में है । जिस मानस में करुणा का एवं दया का सैलाब लहराता हो, उसकी
ओजस्वी गरिमा के दर्शन हमें गुरुदेवश्री में होते हैं। किसी भी सम्प्रदाय का कोई भी निर्धन असहाय भाई-बहिन एवं बच्चे हों, उन्हें गुरुदेवश्री का वात्सल्यमय वरदान सहज ही उपलब्ध हो जायेगा। इस सम्बन्ध में गुरुदेवश्री की पैनी दृष्टि गजब की शक्ति रखती है। इसी के लिए प्रत्येक व्यक्ति सहज में ही आपको करुणासागर के शब्द से सम्माननीय रूप में सम्बोधित कर उठता है । यह अन्तरतम से अन्तरलहरियों की प्रतिध्वनित गूंज है।
गुरुदेवश्री के पास अपना-पराया की विभेद रेखा नहीं है। केवल हमें आत्मीयता के ही दर्शन होते हैं । इसके सिवा अन्यथा कुछ भी नहीं है।
मैं आज अपने मन की असीम श्रद्धा की गहराइयों के साथ में अपनी विनम्र भावाञ्जलि समर्पित करता हूँ। जिससे, कि मैं भी आपके आध्यात्मिक विकास के पथचिन्हों पर चलने की गति साधना का संबल पा सकूँ ।
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