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मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ
हे गणाधीश !
आपकी सबल व प्रबल प्रतिभासम्पन्न भुजाओं में व आपकी अन्तरात्मा में कुदरत ने वह शक्ति- वह बल इस प्रकार समर्पित कर दिया है कि आप एक वरिष्ठ बलिष्ठ सुशासक योद्धा की तरह एक विराट विशाल साधु श्रावक समुदाय का अपनी विलक्षण सूझ-बूझ व निर्मला - विमला मेधा से सफलतापूर्वक नेतृत्व व मार्गदर्शन प्रस्तुत कर रहे हैं । तात्पर्य यह है कि आपकी सरलता - उदारता, विशाल भाव, ऋजुता आदि गुण गरिमा- महिमा की शीतल छाया में आज श्रद्धाशील चतुर्विध संघ दिनोंदिन प्रगति के पवित्र पुंज स्वरूप पथ पर गतिमान हो रहा है ।
हे ज्योति पुत्र !
मालवरत्न परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री कस्तूरचन्द जी महाराज के अमृत व्यक्तित्व की ज्योति से आज का प्रतिपल प्रकाशित हो रहा है । इस अमृत ज्योति की संजीवनी रसायन से हम आपके अनुयायी शिष्य उल्लसित रूप से अनुप्राणित होते आये हैं ।
अतः आज आपके सान्निध्य में आपके ही अमृत महोत्सव पर उपस्थित मुनि समुदाय अपनी भावांजलि के पावन प्रतीक स्वरूप " शासन सम्राट" के सम्मानित पद से विभूषित करते हैं ।
दिनांक - ३ मई, १९७१ नीमचौक, रतलाम ( म०प्र०)
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हम हैं आपके 5कृपापात्र सन्तवृन्द
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