________________ आत्मा के साथ संबंध स्थापित किया था। इनका किस प्रकार का विपाक हुआ-यह भी जाना जा सकता है। ____हमने सुना है, पढ़ा है कि एक व्यक्ति अतीन्द्रियज्ञानी ऋषि-मुनि के पास जाता है और पूछता है- 'भते! अभी मैं यह विपाक भोग रहा हूं। आप मुझे बताएं कि मैंने क्या किया था, जिसका यह विपाक मुझे भोगना पड़ रहा है? यह किसका परिणाम है? तब वे अतीन्द्रियज्ञानी कहते हैं-तुमने अमुक जीवन में अमुक प्रवृत्ति की थी, उसी का यह परिणाम है, विपाक है। - भगवान् महावीर के पास सम्राट् श्रेणिक का पुत्र मेघकुमार दीक्षित हुआ। वह मुनि बना। जीवन के प्रति कुछ अधीरता हो गई। वह भगवान् के पास आया और बोला-'भंते! आपका साधुत्व आप संभालें। मैं घर जा रहा हूं।' महावीर ने कहा-'मेघकुमार! बहुत आश्चर्य की बात है। आज तुम मनुष्य हो, एक सम्राट् के पुत्र हो, मेरे शिष्य हो। मुनि बन गये, फिर भी थोड़े से कष्ट से घबरा गये! इतने अधीर हो गये! तुम्हें याद नहीं है, हाथी के जन्म में तुमने कितने भयंकर कष्ट सहे थे? भूल गये?' भूला कौन था! कोई भूला नहीं था। बस, जो छिपा पड़ा था उसकी स्मृति दिलाने की जरूरत थी। मेघकुमार को पुनर्जन्म की स्मृति हो गई। हाथी के जन्म में सहे सारे कष्ट चित्रवत् प्रत्यक्ष हो गये। अब सब कुछ ठीक हो गया। ___ हम अतीत से विच्छिन्न होकर केवल वर्तमान की व्याख्या नहीं कर सकते। प्रवृत्ति और परिणाम-इन दोनों को तोड़ा नहीं जा सकता। जो परिणाम आज दृश्य है, उसके पीछे प्रवृत्ति है। परिणाम और प्रवृत्ति, प्रवृत्ति और परिणाम। आज भी प्रवृत्ति अतीत का परिणाम, आज का परिणाम अतीत की प्रवृत्ति। जो वर्तमान क्षण की प्रवृत्ति है, उसके पीछे अतीत का सम्बन्ध जुड़ा हुआ है, इसलिए वह परिणाम भी है और भावी परिणाम का वह हेतु भी है, इसलिए वह प्रवृत्ति भी है, वह परिणाम भी है। वह कार्य भी है और कारण भी। अतीत का कारण उसके पीछे है इसलिए वह कार्य और भविष्य के कार्य का वह हेतु है, इसलिए वंह कारण भी है। कर्म : चौथा आयाम 25