________________ में झुलस जाता है। एक व्यक्ति कोई ऐसा कार्य करता है कि पूरा समाज या राष्ट्र उससे लाभान्वित हो जाता है। परिवार में तो ऐसा होता ही है। पिता धन कमाता है और पुत्र को वह अनायास ही मिल जाता है। धन पैतृक विरासत में प्राप्त होता है। इसी प्रकार पैतृक विरासत के रूप में कुछ गुण-दोष भी मिलते हैं। पिता का लाभ संतति को लाभाविन्त करता है और पिता की हानि संतति को हानि पहुंचाती है। यह पैतृक विरासत है। एक वर्ग ने जुआ खेला और महाभारत के युद्ध की पीड़ा अनेक को भोगनी पड़ी। कामुकता किसी सम्राट में थी और पूरा देश परतन्त्र हो गया। ये सारी घटनाएं यह सोचने के लिए विवश करती हैं कि कर्म सामाजिक भी होता है। यदि वह सामाजिक नहीं होता तो कर्म करने वाले को ही उसका परिणाम भोगना पड़ता। वह सामाजिक है, इसलिए एक व्यक्ति के कर्म का परिणाम अनेक व्यक्तियों को भुगतना पड़ता है। पृथ्वीराज चौहान ने कुछ किया, उसका परिणाम पूरे भारतवर्ष को भुगतना पड़ा। चन्द्रगुप्त मौर्य ने कुछ किया, उसका परिणाम पूरे राष्ट्र को मिला। एक के कारण पूरा देश कठिनाइयों में फंस गया और दूसरे के कारण पूरा राष्ट्र संगठन-सूत्र में बंध गया। एक अकेले व्यक्ति के द्वारा वांछनीय या अवांछनीय कर्म किया जाता है और उसका परिणाम व्यापक रूप में भुगतना पड़ता है। क्या इन सारी घटनाओं से हम यह स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं हो जाते कि कर्म सामाजिक भी होता है। फिर प्रश्न होता है कि यदि कर्म सामाजिक होता है, तो 'जो कर्म करता है, वही फल भोगता है'-कर्मवाद का यह सिद्धान्त कैसे टिक पाएगा? दोनों ओर प्रश्नचिह्न हैं। इस स्थिति में हमें कुछ गहरे में उतरकर सोचना होगा। हम इस कहानी पर ध्यान दें ___एक गीत-संगोष्ठी में एक महिला गीत गा रही थी। एक व्यक्ति उस गीत को सुनते-सुनते ऊब गया। उसने कहा-'कौन महिला है? गाना जानती ही नहीं। केवल गला फाड़ रही है। पास में बैठा व्यक्ति बोला-'मेरी पली है। उस व्यक्ति ने कहा-'क्षमा करें। इस बेचारी का दोष ही क्या? किस गधे ने यह गीत लिखा! वह बोला-'महाशय! मैंने ही अपनी पत्नी के लिए यह गीत लिखा है। उस व्यक्ति ने कहा-'क्षमा करें!' ___ करे कोई, भोगे कोई 231