Book Title: Karmwad
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 293
________________ है। बदलती हुई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों से हम घबराएं नहीं। बार-बार कर्मवाद के समाप्त होने की बात न सोचें, किन्तु उन परिस्थितियों के संदर्भ में कर्मवाद का सही-सही मूल्यांकन करें तो ऐसा प्रतीत होगा कि जो सत्य त्रैकालिक दृष्टि तक साक्षात् अनुभव के द्वारा उपलब्ध किया गया है, जो स्वयं अप्रकम्प है वह इन छोटे-छोटे संझावातों के द्वारा कभी समाप्त नहीं हो सकता। समाजवाद में कर्मवाद का मूल्यांकन 283

Loading...

Page Navigation
1 ... 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316