________________ में कम। वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धांत मनोविज्ञान के प्रत्येक नियम के साथ जुड़ा हुआ है। ___ मनोविज्ञान में वैयक्तिक भिन्नता का अध्ययन आनुवंशिकता (हेरिडिटी) और परिवेश (एन्वार्नमेंट) के आधार पर किया जाता है। जीवन का प्रारम्भ माता के डिम्ब और पिता के शुक्राणु के संयोग से होता है। व्यक्ति के आनुवंशिक गुणों का निश्चय क्रोमोसोम के द्वारा होता। क्रोमोसोम अनेक जीनों (जीन्स) का एक समुच्चय होता है। एक क्रोमोसोम में लगभग हजार जीन माने जाते हैं। ये जीन ही माता-पिता के आनुवंशिक गुणों के वाहक होते हैं। इन्हीं में व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक विकास की क्षमताएं (पोटेन्सिएलिटीज) निहित होती हैं। व्यक्ति में ऐसी कोई विलक्षणता प्रकट नहीं होती, जिसकी क्षमता उसके जीन में निहित न हो। मनोविज्ञान ने शारीरिक और मानसिक विलक्षणताओं की व्याख्या आनुवंशिकता और परिवेश के आधार पर की है, पर इससे विलक्षणता के संबंध में उठने वाले प्रश्न समाहित नहीं होते। शारीरिक विलक्षणता पर आनुवंशिकता का प्रभाव प्रत्यक्ष होता है। मानसिक विलक्षणताओं के संबंध में आज भी अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं। क्या बुद्धि आनुवंशिक गुण है? अथवा परिवेश का परिणाम है? क्या बौद्धिक स्तर को विकसित किया जा सकता है? इन प्रश्नों का उत्तर प्रायोगिकता के आधार पर नहीं दिया जा सकता। आनुवंशिकता और परिवेश से सम्बद्ध प्रयोगात्मक अध्ययन केवल निम्न कोटि के जीवों पर ही किया गया है या सम्भव हुआ है। बौद्धिक विलक्षणता का संबंध मनुष्य से है। इस विषय में मनुष्य अभी भी. पहेली बना हुआ है। ... कर्मशास्त्रीय दृष्टि से जीवन का प्रारम्भ माता-पिता के डिम्ब और शुक्राणु के संयोग से होता है, किन्तु जीव का प्रारम्भ उनसे नहीं होता। मनोविज्ञान के क्षेत्र में जीवन और जीव का भेद अभी स्पष्ट नहीं है। इसलिए सारे प्रश्नों के उत्तर जीवन के संदर्भ में खोजे जा सकते हैं। कर्मशास्त्रीय अध्ययन में जीव और जीवन का भेद बहुत स्पष्ट है, इसलिए मानवीय विलक्षणता के कुछ प्रश्नों का उत्तर जीवन में खोजा जाता है . और कुछ प्रश्नों का उत्तर जीव में खोजा जाता है। आनुवंशिकता का कर्मशास्त्र : मनोविज्ञान की भाषा में 266