________________ में असत्यता है। यदि विचार निरपेक्ष है तो वह असत्य है, मिथ्या है। यदि वह सापेक्ष है तो वह सत्य है, समीचीन है। यह सापेक्षता का सिद्धांत महत्त्वपूर्ण और यथार्थ है। इस कसौटी पर कसने पर वंशानुक्रम का सिद्धांत सत्य प्रतीत होता है, पर वह समग्र सचाई नहीं है, यह भी ज्ञात होता है। एक ही वंश में पैदा होने वाले अनेक प्रकार के व्यक्तित्व वाले बन जाते हैं। उन सबके व्यक्तित्व में बहुत अन्तर होता है। इसलिए आनुवंशिकता ही केवल सचाई नहीं है। वह भी एक तथ्य है। - दूसरा कारण है परिस्थिति। एक ही माता-पिता की सन्तान यदि दो विभिन्न परिस्थितियों में रहती है तो दो प्रकार के व्यक्तित्व वाली बन जाती है। समान परिस्थिति में भी व्यक्तित्व में अन्तर आ जाता है। इससे आगे भी कारण की खोज चली और तब पता चला कि पर्यावरण भी एक कारण है। तीसरा कारण है-पर्यावरण। इसको अंग्रेजी में इकोलॉजी कहा जाता है। आज इसका बहुत विकास हुआ है। इसके आधार पर मानवीय स्वभाव की व्याख्याएं हुई हैं। अपराधी मनोवृत्ति के विश्लेषण में पर्यावरण विज्ञान बहुत आगे बढ़ा है। जहां प्रदूषण की प्रचुरता है, वहां अपराध और असामान्य आचरण की भी प्रचुरता होती है। अमेरिका में सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि प्रदूषण के कारण नगरों की वायु में शीशे की मात्रा अधिक होती है और इसके प्रभाव से बच्चों की मनःस्थिति विकृत बन जाती है। शीशे की मात्रा कम होती है तो विकृति कम होती है। पर्यावरण का असंतुलन शारीरिक और मानसिक असंतुलन पैदा करता है। हमारे शरीर में लवण, खनिज आदि होते हैं। सब धातुओं का संतुलन बना रहता है तो शरीर स्वस्थ रहता है। तांबा, जस्ता, फास्फोरस आदि धातुओं की निश्चित मात्रा रहती है। जब इनकी मात्रा कम हो जाती है या अधिक हो जाती है तो शरीर गड़बड़ा जाता है। शरीर विभिन्न प्रकार के लवणों, खनिजों तथा अन्यान्य पदार्थों से बना हुआ है। रासायनिक दृष्टि से उसका बहुत विश्लेषण हुआ है। . आनुवंशिकता, परिस्थिति और पर्यावरण-ये तीन कारण मनुष्य के 202 कर्मवाद