________________ लग जाता है। जब घटना घटित होती है तब वह यह नहीं कहता कि अमुक-अमुक इसके लिए उत्तरदायी हैं, पर वह कहता है, मैं ही इसका उत्तरदायी हूं। दीपक जल रहा है। हवा का झोंका आया। दीपक बुझ गया। तेल भी समाप्त हो चुका था। पर सारा दोष हवा को दिया जाएगा। कहा जाएगा-हवा का झोंका आया और दीपक बुझ गया। यह निमित्त पर दोष देने की बात है। ध्यान के द्वारा जिसकी चेतना जाग जाती है, वह व्यक्ति पहले उपादान को देखता है, फिर निमित्त पर ध्यान देता है। वह निमित्तदर्शी नहीं, उपादानदर्शी बन जाता है। यह हमारी चेतना का आध्यात्मिक विकास है। जिस व्यक्ति की आध्यात्मिक चेतना जाग जाती है, वह उपादान की दृष्टि को प्राप्त हो जाता है। वह निमित्त को गौण मानकर देखता है। ... अतीत को पढ़ो : भविष्य को देखो 217