________________ की मध्यम अवस्था है। घटना में कोई अन्तर नहीं आता। घटना एक ही होती है पर उसके साथ चित्त की वृत्तियां भिन्न-भिन्न बन जाती हैं। उन वृत्तियों के आधार पर कर्म परमाणुओं का संग्रहण भी निम्न प्रकार का होता है। ____ जब मन्द चित्त से कर्म परमाणुओं का आकर्षण होता है, वह अल्प और अल्पविपाकी होता है। वे कर्म परमाणु अन्य शक्ति वाले होते हैं। . जब तीव्र चित्त से कर्म परमाणुओं का आकर्षण होता है, तब वह आकर्षण सघन और बहु-विपाकी होता है। उनका संश्लेष गाढ़ होता है और वे तीव्र विस्फोट करने में समर्थ होते हैं। ___ स्कंधक ने काचर छीला और बाद में उनकी चमड़ी उधेड़ी गई। पर दुनिया में काचर को न जाने कितने लोग छीलते हैं, पर किन-किन की चमड़ी उधेड़ी जाएगी? घटना का प्रश्न नहीं है, काचर का प्रश्न नहीं है, सबसे बड़ा प्रश्न है हिंसा का। यह जरूरी नहीं है कि काचर का छिलका उतारने वाले की चमड़ी छीली जाए, मारने वाले को मारा जाए। यह अनिवार्यता सदा नहीं बनती, कभी-कभी बनती है। हिंसा करने वाला, हत्या करने वाला यदि तीव्र आसक्ति से हिंसा-चित्त का निर्माण करता है तो उसकी भी वही गति है। छाल उतारने वाले की चमड़ी उधेड़ी. जाती है। व्याख्या में बहुत अन्तर आएगा। सामान्यतः कहा जाता है, किसी का तुमने ऋण दबाया होगा, इसलिए तुम्हारा ऋण कोई दूसरा दबा रहा है। तुमने किसी के लड़के को मारा होगा, किसी के घर चोरी की होगी, किसी के घर डाका डाला होगा, इसीलिए तुम्हारे लड़के को किसी ने मार डाला, किसी ने तुम्हारे घर चोरी की, किसी ने तुम्हारे घर डाका डाला। ऐसा कोई नियम नहीं है। ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता। तीव्र अध्यवसाय से किया जाने वाला कर्म उसी रूप में परिणत होता है। मध्यम और मंद परिणाम से जो प्रवृत्ति की जाती है, कर्म किया जाता है, तो जरूरी नहीं है कि वैसा का वैसा फिर घटित होगा। जब प्रवृत्ति के साथ तीव्र चित्त का निर्माण हो जाता है तो वैसा भी घटित हो सकता है। इस प्रसंग में जीवन का एक रहस्य उद्घाटित होता है। कर्म आदमी __ अतीत को पढ़ो : भविष्य को देखो 213