________________ परमाणु-ये दो प्रकार बन जाते हैं। भावों को देखकर जाना जा सकता है कि किस प्रकार का कर्म होने वाला है और कर्मों को देखकर जाना जा सकता है कि किस प्रकार का भाव चल रहा है। यह अतीत को जानने और भविष्य को देखने की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसी के आधार पर अतीत को पढ़ा गया है और भविष्य को देखा गया है। आज भी यदि कोई व्यक्ति सूक्ष्म दृष्टि से निरीक्षण करे तो वह समझ सकता है कि अमुक व्यक्ति कैसा है? किस प्रकार का इसका व्यवहार है? इसने क्या सोचा था? इसका चिन्तन या भाव कैसा था? इसका आचरण कैसा था? ये सब बातें ज्ञात हो सकती हैं। इसी प्रकार वर्तमान के कर्मों की अवस्थाओं को देखकर यह समझा जा सकता है कि यह व्यक्ति भविष्य में किस प्रकार चिन्तन, व्यवहार और आचरण करेगा? इस प्रकार अतीत और भविष्य को पकड़ा जा सकता है। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण माध्यम है। किन्तु कर्मवाद के विषय की जानकारी बहुत कम है, भ्रान्तियां अधिक हैं। आज भी कर्मवाद के नाम पर ऐसे सूत्र दोहराए जा रहे हैं जो कर्मवाद की छवि को धूमिल करते हैं और भ्रान्त तथा त्रुटिपूर्ण सिद्धांत की प्रस्थापना करते हैं। इससे अनेक भ्रान्तियां पनपी हैं और निरन्तर पनपती जा रही हैं। आज प्रत्येक घटना के साथ कर्म को जोड़ दिया जाता है, जबकि कर्म की अपनी एक सीमा है। . दो मित्र समुद्र के तट पर खड़े-खड़े ज्वार-भाटे को देख रहे थे। कुछ समय बीता। उन्हें एक जहाज दिखाई दिया। एक ने कहा-मित्र! मेरे मन में एक प्रश्न उभर रहा है कि एक छोटी-सी सुई पानी में डूब जाती है, पर विशाल जहाज पानी में तैर जाता है। कारण क्या है? दूसरा मित्र बोला-इतना भी नहीं जानते? सुई ने कोई बुरा कर्म किया था पूर्वभव में, इसलिए वह पानी में डूब जाती है और जहाज ने कुछ अच्छे कर्म किए थे, इसलिए यह पानी में तैर जाता है। यह सब कर्म का ही चमत्कार है। हम कर्म की सीमा को नहीं जानते इसीलिए प्रत्येक बीमारी, मृत्यु और अन्यान्य निमित्तों के साथ कर्म का सम्बन्ध जोड़ देते हैं। कर्म के द्वारा भी कुछ होता है. यह यथार्थ है, पर सब कुछ कर्म के द्वारा ही 210 कर्मवाद