________________ गुण है, वह है चैतन्य। कर्म आया हुआ है, सहज नहीं है। वह एक दिन आता है, सम्बन्ध स्थापित करता है और जब तक अपना प्रभाव पूरा नहीं डाल देता, तब तक बना रहता है। जिस दिन अपना प्रभाव डाल दिया, उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है और वह चला जाता है, विसर्जित हो जाता है। विसर्जित होने का क्षण वर्तमान का क्षण है और आने का क्षण अतीत का क्षण है। विनाश का क्षण वर्तमान का क्षण है और सम्बन्ध स्थापना का क्षण अतीत का क्षण है। इन दोनों क्षणों की हम ठीक व्याख्या करें तो कर्म का पूरा सिद्धान्त हमारी समझ में आ सकेगा। इन दोनों की लम्बाई में हमें कर्म की यात्रा करनी है। कर्म : चौथा आयाम 27