________________ है और तब विवेक जागृत हो जाता है। प्रेक्षा का प्रयोजन है-विवेक। संश्लेष नहीं, विश्लेष। एकत्व नहीं, विवेचन। जब तक विवेचन की शक्ति नहीं जागती, तब तक विकास नहीं होता। नमक भी सफेद होता है और कपूर भी सफेद होता है, पर दोनों का उपयोग भिन्न-भिन्न होता है। आचार्य भिक्षु ने कहा-कुछ लोग, जो सफेद और तरल होता है उसे दूध समझ लेते हैं। गाय का दूध, भैंस का दूध, आक का दूध और थूहर का दूध-चारों प्रकार के दूध तरल होते हैं और सफेद होते हैं। पर आदमी को यह विवेक तो होना ही चाहिए कि कौन-सा दूध किस काम में आ सकता है। यह विवेक की शक्ति जागृत होनी ही चाहिए। ___हमें विवेक करना है कि चेतना कहां है और कर्म का प्रभाव कहां है? हमें चेतना से कर्म का विश्लेषण करना है, विवेक करना है। दोनों का पृथक्करण करना है। विवेक जागृति के पश्चात् हम जितना चेतना का अनुभव करेंगे, उतने ही वर्तमान में रहेंगे। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि चेतना का अनुभव करना वर्तमान की पकड़ है। हम ऐसा भी कह सकते हैं कि वर्तमान की पकड़ का अर्थ होता है-चेतना का अनुभव। . चैतन्य का अनुभव करना, आत्मबोध करना, शुद्ध आत्मा का दर्शन करना-यह विवेकसूत्र यदि हस्तगत हो जाता है तो अनेक समस्याएं समाहित हो जाती हैं। आंखों का काम है, जो भी सामने आए उसे देखना। पर देखने के पीछे निरंतर हमारी दृष्टि यह रहे कि जिसे देख रहा हूं, वही शुद्ध आत्मा है। जब प्रत्येक व्यक्ति में शुद्ध आत्मा के दर्शन की चेतना जाग जाती है, इसका अर्थ होता है कि प्रत्येक व्यक्ति अनेक विकृतियों से छुटकारा पा लेता है। यह विवेक जागना चाहिए। विवेक-जागरण के बिना आदमी सारी स्थितियों को एक-सा मान लेता है और तब अनेक गड़बड़ियां हो जाती हैं। -- एक व्यक्ति रेल में यात्रा कर रहा था। अचानक उसका अंगूठा दरवाजे के बीच आया और थोड़ा कट गया। वह जोर से चिल्ला उठा। वर्तमान की पकड़ 187