________________ सारा संबंध मुर्गे से जोड़ दिया। मेरा मुर्गा बांग देता है, तभी तो प्रभात होता है। इसी प्रकार आज के आदमी ने यह जोड़ दिया है कि गरीबी नहीं रहेगी तो कर्मवाद कैसे टिकेगा? अमीरी नहीं होगी तो कर्मवाद कहां टिकेगा? तो क्या कर्मवाद का यह मतलब है कि आदमी को खाने को रोटी न मिले, पूरा कपड़ा न मिले, रहने के लिए स्थान न मिले? क्या कर्मवाद का यही सार है? यदि कर्मवाद का यही सार है, तो कर्मवाद जितना निस्सार और बेकार कोई सिद्धांत नहीं हो सकता। वास्तव में हमने कर्मवाद के रहस्य को समझा ही नहीं। कर्मवाद की कोई बाधा नहीं है समस्या के समाधान में। चाहे साम्यवाद आए या समाजवाद आए, कर्मवाद पर कोई आंच आने वाली नहीं है। जब तक व्यक्ति रहेगा, व्यक्ति का अच्छा-बुरा आचरण रहेगा, व्यक्ति का अच्छा-बुरा मनोभाव रहेगा, तब तक कर्मवाद को कोई आंच आने वाली नहीं है और यदि सभी जीव मोक्ष चले जाएंगे या मुक्त हो जाएंगे तब फिर कर्मवाद टिकने वाला नहीं है। उस पर स्थिति में कर्मवाद की जरूरत भी नहीं है। व्यक्ति जब तक जीएगा, धरती पर रहेगा, भावनाओं और व्यवहारों के साथ जीएगा, तब तक कर्मवाद को कोई खतरा नहीं है। आज मनुष्य ने अपने पुरुषार्थ के द्वारा अनेक प्रयत्न किए हैं। एक जमाना था, जब आसाम मलेरिया से आक्रान्त था। आज मनुष्य के पुरुषार्थ से वह मलेरिया से मुक्त हो चुका है। इसी प्रकार मनुष्य ने चेचक, प्लेग आदि महामारियों पर भी विजय पा ली है। चेचक को दैविक प्रकोप माना जाता था। आज उस बीमारी का समूल नाश हो गया। यह सारा हआ है मनुष्य के पुरुषार्थ द्वारा। तब प्रश्न होता है कि कर्मवाद कहां है? यदि बीमारियां कर्मजन्य होतीं तो वे समाप्त कैसे होती? पहले चेचक से न जाने कितने बच्चे मर जाते थे। आज वैसी स्थिति नहीं है। पहले आदमी कितनी जल्दी बूढ़ा हो जाता और मर जाता था, आज वैसा नहीं हो रहा है। आज मृत्यु-दर घटी है, आयु-दर बढ़ी है। यदि कर्मवाद है तो इन सारी स्थितियों का समाधान क्या है? . ___ इन सारी स्थितियों का कर्मवाद से कोई संबंध नहीं है। कर्म में 162 कर्मवाद