________________ का सूत्र हस्तगत नहीं हुआ है। सामाजिक बुराइयों का सबसे बड़ा घटक है आर्थिक प्रलोभन। यह जटिल समस्या है। जिस दिन इस वृत्ति को बदलने का सूत्र ज्ञात हो जाएगा, प्राप्त हो जाएगा, उस दिन समाज से रूढ़िवाद का प्रभाव टूट जाएगा, अनेक रूढ़ियां समाप्त हो जाएंगी। रूढ़ि तो एक बहाना मात्र है। उसकी पृष्ठभूमि में लालच काम करता है, लोभ का चक्र चलता रहता है। आदमी में लोभ की वृत्ति इतनी तीव्र है कि वह सीधा धन पाना चाहता है। . .. पत्नी ने पति से कहा- 'मैंने समाचारपत्र में पढ़ा है कि एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को साइकिल के बदले बेच डाला। आप तो ऐसा नहीं करेंगे?' पति बोला- 'मैं इतना मूर्ख नहीं हूं। यदि सौदा करूंगा तो कार का करूंगा। कार के बदले में पत्नी को बेचना लाभप्रद होगा।' कितना लोभ होता है आदमी में! भयंकर लोभ। यदि इस लोभ की वृत्ति को बदलने का सूत्र हस्तगत हो जाए तो फिर सामाजिक परिवर्तन सहज-सरल हो जाएगा। हम इस सूत्र की खोज में लगे हुए हैं और यह विश्वास है कि हमारा प्रयत्न अवश्य सफल होगा। ध्यान का सूत्र हमने खोजा और वह प्राप्त हो गया। यह धार्मिक क्षेत्र में नयी क्रान्ति है। __ प्रेक्षा-ध्यान के सूत्र की खोज का भी एक इतिहास है। पूज्य गुरुदेव का चातुर्मास था उदयपुर में। यह वि. सं. 2016 की बात है। आगम-संपादन कार्य चल रहा था। हम जो काम करते, प्रतिक्रमण के पश्चात् उस कार्य का लेखा-जोखा गुरुदेव के समक्ष रख देते। यह प्रतिदिन का क्रम था। उन दिनों उत्तराध्ययन का संपादन-कार्य चल रहा था। उसके उनतीस अध्ययन संपन्न हो चुके थे। तीसवें अध्ययन पर कार्य हो रहा था। उसमें तपस्या का वर्णन है। उसके बहिरंग और अन्तरंग प्रकारों पर चर्चा चली। ध्यान तपस्या का अन्तरंग प्रकार है। मैंने निवेदन किया-ध्यान पर हम टिप्पणी लिख रहे हैं। बहुत सामग्री मिली है। खोज करने पर और भी सामग्री प्राप्त हो सकती है। गुरुदेव ने फरमाया-'ध्यान के विषय में जब इतनी सामग्री उपलब्ध है तो जैन परम्परा में विच्छिन्न ध्यान-प्रक्रिया का पुनः अनुसंधान क्यों नहीं किया जाए? हमें इस दिशा 166 कर्मवाद